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Big issue: इन्हें तुरन्त चाहिए ऑक्सीजन, वरना हालात हो जाएंगे खराब

locationअजमेरPublished: May 07, 2021 08:13:36 am

Submitted by:

raktim tiwari

अतिक्रमण और पानी आवक के मार्गों में रुकावट। आता पर्याप्त पानी आता तो रिचार्ज होते कुएं।

water bodies in ajmer

water bodies in ajmer

अजमेर.

शहरी और ग्रामीण इलाकों के उपयोगी तालाबों-नाडियों के हाल खराब हैं। महज 15-20 साल पहले इनमें पर्याप्त पानी की आवक होती थी। लेकिन एक बूंद पानी नहीं पहुंचता। अतिक्रमण और पानी आवक के मार्गों में रुकावट सबसे बड़ी बाधा है। यही हाल रहे तो इनका अस्तित खत्म हो जाएगा।
बीर तालाब बना मैदान
ब्रिटिशकाल में 18 वीं शताब्दी में निर्मित बीर तालाब कभी पिकनिक स्पॉट था। यहां साल भर पानी रहता। लेकिन 15 साल से खाली है। अवैध अतिक्रमण और पानी आवक के मार्गों में रुकावट से तालाब बर्बाद हो गया है। जबकि इसकी भराव क्षमता 30 फीट (117.12 एमसीएफटी) है। मौजूदा वक्त इसमें पानी नहीं (डेड स्टोरेज) है।
30 साल से खाली ऊंटड़ा तालाब
18 वीं शताब्दी में निर्मित ऊंटड़ा का तालाब सिंचाई का प्रमुख स्त्रोत रहा है। इसकी भराव क्षमत 18 फीट (106.00 एमसीएफटी) है। अच्छी बरसात होने के बावजूद 4-5 फीट पानी पहुंचता है। बेतरतरीब एनिकट और रपट के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर पाया है। मौजूदा वक्त पानी नहीं है।
अतिक्रमण की चपेट में फूल सागर कायड़
1891-92 में निर्मित फूलसागर कायड़ तालाब सिंचाई का प्रमुख स्त्रोत है। इसकी भराव क्षमता 18 फीट (106.00 एमसीएफटी) है। साल 2019 में बरसात के दौरान तालाब में 8.15 फीट आया। लोहागल, जनाना रोड क्षेत्र में अतिक्रमण और गहरे गड्ढों से तालाब में पानी नहीं पहुंचता है। 1982-83 के बाद कभी पूर्ण भराव क्षमता तक नहीं पहुंचा है।
खाली रहती है श्रवण की नाडी
कायड़ स्थित श्रवण कुमार की नाडी 30 साल से खाली है। इसके पानी के बहाव क्षेत्र की आव भी सूखी रहती है। नाडी की आव क्षेत्र से पानी की आवक तथा वर्षा जल संग्रहण के लिए तालाब की खुदाई कराने की जरूरत है। नाडी क्षेत्र में खुदाई के साथ उसे गहरा करने, मार्ग में होने वाली कंटीली झाडिय़ों, खरपतवार को साफ करने और अतिक्रमण हटाए बगैर बरसात का पानी पहुंचना मुश्किल है।
फायसागर 30 साल से खाली
फायसागर 18 वीं सदी में इंजीनियर फॉय की देखरेख में फायसागर झील का निर्माण हुआ था। इसकी भराव क्षमत 26 फीट (165.00 एमसीएफटी) है। 2019 में ताबड़तोड़ बारिश से इसमें सर्वाधिक 21.5 फीट पानी आया था। पानी आवक मार्ग में अतिक्रमण, बेतरतरीब निर्माण और नालों के कारण यह 30 साल में कभी पूरा नहीं भर पाई है। कभी इसका पानी ओवरफ्लो होने के बाद आनासागर में जाता था।
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