Big Issue: ये हैं लॉ कॉलेज.. कंप्यूटर से पढ़ाई, ना खेलने का मैदान
उच्च शिक्षा अभियान और यूजीसी की योजनाओं में इन्हें कोई बजट नहीं मिलता। लिहाजा राज्य के विधि कॉलेज विकास की दौड़ में पिछड़े हैं।
अजमेर.
कानून की पढ़ाई कराने वाले राज्य के लॉ कॉलेज बहुत बदकिस्मत हैं। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की तरह विद्यार्थी कंप्यूटर चलाते हैं ना किसी मैदान में खेलते दिखते हैं। राष्ट्रीय उच्च शिक्षा अभियान और यूजीसी की योजनाओं में इन्हें कोई बजट नहीं मिलता। लिहाजा राज्य के विधि कॉलेज विकास की दौड़ में पिछड़े हैं।
वर्ष 2005-06 में अजमेर, भीलवाड़ा, सीकर, नागौर, सिरोही, बूंदी, पाली, कोटा, झालावाड़ और अन्य जगह लॉ कॉलेज स्थापित हुए थे। बार कौंसिल ऑफ इंडिया से इन्हें स्थाई मान्यता नहीं मिली है। बिल्डिंग बनाकर भूले कॉलेज कोराष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान में विकास और यूजीसी के प्रोजेक्ट से लॉ कॉलेज महरूम हैं। राज्य सरकार भी खास बजट नहीं देती है। आठ साल पहले सरकार ने सभी लॉ कॉलेज की कॉलेज बिल्डिंग बनवाई थी। अजमेर में कायड़ रोड पर बनी बिल्डिंग की चारदीवारी नहीं बनी है। यह चारों तरफ से खुला है। अन्य लॉ कॉलेज के भी कमोबेश हालात खराब हैं।
विद्यार्थियों ने नहीं देखी कभी ये सुविधाएं...
-एलएलबी और एलएल कोर्स के स्मार्ट क्लासरूम-हाईटेक सुविधाओं युक्त स्मार्ट मूट कोर्ट
-नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की तरह हाईटेक कंप्यूटर लेब-इंडोर और आउटडोर खेल सुविधाएं
-कैफेटेरिया, विजिटर्स और रीडिंग रूम
यूजीसी नहीं जानती इन कॉलेज को
लॉ कॉलेज को यूजीसी जानती भी नहीं है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया से स्थाई मान्यता नहीं मिलने के कारण कॉलेज यूजीससी की 12 (बी) और 2 एफ नियम में पंजीकृत नहीं है। पंजीकरण होने पर ही कॉलेज को यूजीसी के शैक्षिक, रिसर्च प्रोजेक्ट और रूसा में संसाधनों के विकास का बजट मिल सकता है।
फैक्ट फाइल
2005 में खुले 15 लॉ कॉलेज
8 हजार से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत
15 साल से नहीं यूजीसी से पंजीकृत
140 शिक्षक हैं कॉलेज में कार्यरत
2020-21 में प्रथम वर्ष अम्बेडकर यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध
अब पाइए अपने शहर ( Ajmer News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज