केंद्र और राज्य सरकार लघु-कुटीर उद्यम और कौशल विकास कार्यक्रमों-कोर्स को बढ़ावा दे रही है। चार वर्ष पूर्व राजस्थान आईएलडी स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित की गई। इसके अलावा महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों में लघु उद्यमिता केंद्र खोले गए। इनमें सिलाई,ब्यूटीशियन, ड्रेस डिजाइनिंग, फूड प्रोसेसिंग, बेकरी, मैनेजमेंट और अन्य कोर्स संचालित हैं। लेकिन 5 से 10 युवाओं को भी फायदा नहीं मिला है।
नियमित कोर्स में नहीं शामिल
व्यावसायिक और उद्यमिता-कौशल आधारित कोर्स नियमित पाठ्यक्रमों में शामिल नहीं हैं। मदस विश्वविद्यालय और इससे सम्बद्ध कॉलेजों में कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय में बरसों पुराने घिसे-पिटे बिंदू पढ़ाए जा रहे हैं। औद्योगिक मांग और ग्लोबल ट्रेंड के अनुसार कोर्स नहीं हैं। जबकि कौशल आधारित पाठ्यक्रम देश-प्रांत की अर्थव्यवस्था बढ़ाने और युवाओं के स्वरोजगार में सहायक हैं।
व्यावसायिक और उद्यमिता-कौशल आधारित कोर्स नियमित पाठ्यक्रमों में शामिल नहीं हैं। मदस विश्वविद्यालय और इससे सम्बद्ध कॉलेजों में कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय में बरसों पुराने घिसे-पिटे बिंदू पढ़ाए जा रहे हैं। औद्योगिक मांग और ग्लोबल ट्रेंड के अनुसार कोर्स नहीं हैं। जबकि कौशल आधारित पाठ्यक्रम देश-प्रांत की अर्थव्यवस्था बढ़ाने और युवाओं के स्वरोजगार में सहायक हैं।
जरूरत है इन कोर्स की
इलेक्ट्रिकल एप्लाइंस सर्विस मैनेजमेंट, इंटीरियर डिजाइन, ऑटोमेटिव मेंटेनेंस सर्विस एंड रिपेयर, डेयरी मैनेजमेंट, बैंकिंग फाइनेंस सर्विस, सिक्योरिटी सर्विस, ग्राफिक्स डिजाइन, वेब डवेलपमेंट, फायर टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट, फूड एंड बेवरीज, क्राफ्ट डिजाइन, इंटीरियर डिजाइनिंग एंड एन्टरप्रन्योर और अन्य
इलेक्ट्रिकल एप्लाइंस सर्विस मैनेजमेंट, इंटीरियर डिजाइन, ऑटोमेटिव मेंटेनेंस सर्विस एंड रिपेयर, डेयरी मैनेजमेंट, बैंकिंग फाइनेंस सर्विस, सिक्योरिटी सर्विस, ग्राफिक्स डिजाइन, वेब डवेलपमेंट, फायर टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट, फूड एंड बेवरीज, क्राफ्ट डिजाइन, इंटीरियर डिजाइनिंग एंड एन्टरप्रन्योर और अन्य
पीजी-यूजी स्तर पर नहीं कोर्स
एमडीएस विश्वविद्यालय से 350 कॉलेज सम्बद्ध हैं। इनमें अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक और नागौर के बड़े पीजी-यूजी कॉलेज हैं। इनमें 3.50 लाख से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। पीजी-यूजी स्तर पर लघु उद्यमिता और कौशल आधारित कोर्स नहीं हैं। विवि में नियुक्ति रहे कुलपतियों-शिक्षाविदें के साथ-साथ कोर्स बनाने वाली पाठ्यचर्या समिति (बोर्ड ऑफ स्टडीज) ने भी ऐसे पाठ्यक्रम लागू करने की पहल नहीं की है।
एमडीएस विश्वविद्यालय से 350 कॉलेज सम्बद्ध हैं। इनमें अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक और नागौर के बड़े पीजी-यूजी कॉलेज हैं। इनमें 3.50 लाख से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। पीजी-यूजी स्तर पर लघु उद्यमिता और कौशल आधारित कोर्स नहीं हैं। विवि में नियुक्ति रहे कुलपतियों-शिक्षाविदें के साथ-साथ कोर्स बनाने वाली पाठ्यचर्या समिति (बोर्ड ऑफ स्टडीज) ने भी ऐसे पाठ्यक्रम लागू करने की पहल नहीं की है।
सिमटी है केंद्र की गतिविधि
विवि में 2004-05 से संचालित लघु उद्यमिता एवं कौशल विकास केंद्र की गतिविधियां सिमटी हुई हैं। केंद्र के तत्वावधान में कैंपस में दो वर्षीय एमबीए पाठ्यक्रम संचालित है। आसपास के ग्रामीण इलाकों में यदा-कदा ट्रेनिंग प्रोग्राम कराए जाते हैं। विश्वविद्यालय से सम्बद्ध चारों जिलों के कॉलेजों, सरकारी-निजी संस्थानों और सुदूर ग्रामीण अंचलों तक केंद्र की पहचान नहीं बन पाई है।
विवि में 2004-05 से संचालित लघु उद्यमिता एवं कौशल विकास केंद्र की गतिविधियां सिमटी हुई हैं। केंद्र के तत्वावधान में कैंपस में दो वर्षीय एमबीए पाठ्यक्रम संचालित है। आसपास के ग्रामीण इलाकों में यदा-कदा ट्रेनिंग प्रोग्राम कराए जाते हैं। विश्वविद्यालय से सम्बद्ध चारों जिलों के कॉलेजों, सरकारी-निजी संस्थानों और सुदूर ग्रामीण अंचलों तक केंद्र की पहचान नहीं बन पाई है।
लघु उद्यमिता-कौशल आधारित कोर्स युवाओं के कॅरिअर और अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी हैं। समयानुकूल इन्हें नियमित यूजी-पीजी कोर्स में शामिल करना चाहिए।
प्रो.शिवप्रसाद, मैनेजमेंट विभागाध्यक्ष मदस विवि
प्रो.शिवप्रसाद, मैनेजमेंट विभागाध्यक्ष मदस विवि