मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी 2014-15 में देश के सभी केंद्रीय, राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों, कॉलेज के लिए नैक ग्रेडिंग कराना अनिवार्य कर चुके हैं। शहर के लॉ कॉलेज, श्रमजीवी और राजकीय आचार्य संस्कृत कॉलेज के पास नैक ग्रेडिंग नहीं है। इनमें से श्रमजीवी और संस्कृत कॉलेज तो संसाधनों और शिक्षकों की कमी से परेशान है। लॉ कॉलेज में शिक्षक हैं, लेकिन संसाधन पर्याप्त नहीं है।
संस्कृत कॉलेज की दिक्कतें
लोहागल रोड स्थित संस्कृत कॉलेज को पिछले 20-22 साल में ग्रेडिंग कभी नहीं मिली। कॉलेज का 6.5 करोड़ की लागत से नया भवन पिछले साल ही बना है। भवन में खेलकूद सविधाएं, कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं नहीं है। अलबत्ता सेमिनार कक्ष, स्टाफ रूम, पार्र्किंग और अन्य संसाधन जरूर जुटाए गए हैं। कॉलेज में शिक्षक और विद्यार्थी भी गिनती लायक हैं। लिहाजा कॉलेज और सरकार ने कभी नैक टीम बुलाना उचित नहीं समझा।
लोहागल रोड स्थित संस्कृत कॉलेज को पिछले 20-22 साल में ग्रेडिंग कभी नहीं मिली। कॉलेज का 6.5 करोड़ की लागत से नया भवन पिछले साल ही बना है। भवन में खेलकूद सविधाएं, कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं नहीं है। अलबत्ता सेमिनार कक्ष, स्टाफ रूम, पार्र्किंग और अन्य संसाधन जरूर जुटाए गए हैं। कॉलेज में शिक्षक और विद्यार्थी भी गिनती लायक हैं। लिहाजा कॉलेज और सरकार ने कभी नैक टीम बुलाना उचित नहीं समझा।
अस्तित्व को जूझता श्रमजीवी कॉलेज
पिछले 50 साल से शहर में श्रमजीवी कॉलेज संचालित है। कॉलेज अपनी ईवनिंग क्लास के लिए काफी मशहूर था। पिछले 20 साल में कॉलेज का अस्तित्व ही सिमटता जा रहा है। यहां महज 150 विद्यार्थी पढ़ते हैं। शिक्षक तो अंगुलियों पर गिनने लायक है। कॉलेज का वैशाली नगर में अपना भवन, लाइब्रेरी, खेल मैदान है। इसके भवन में एक निजी स्कूल भी संचालित है। नैक टीम को बुलाए जाने पर विद्यार्थियों और शिक्षकों की संख्या, शोध और अन्य कार्यों में यह कॉलेज फिसड्डी ही साबित होगा।
पिछले 50 साल से शहर में श्रमजीवी कॉलेज संचालित है। कॉलेज अपनी ईवनिंग क्लास के लिए काफी मशहूर था। पिछले 20 साल में कॉलेज का अस्तित्व ही सिमटता जा रहा है। यहां महज 150 विद्यार्थी पढ़ते हैं। शिक्षक तो अंगुलियों पर गिनने लायक है। कॉलेज का वैशाली नगर में अपना भवन, लाइब्रेरी, खेल मैदान है। इसके भवन में एक निजी स्कूल भी संचालित है। नैक टीम को बुलाए जाने पर विद्यार्थियों और शिक्षकों की संख्या, शोध और अन्य कार्यों में यह कॉलेज फिसड्डी ही साबित होगा।
लॉ कॉलेज
वर्ष 2005 में लॉ कॉलेज की स्थापना हुई। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2010-11 में कायड़ रोड पर 12 बीघा जमीन आवंटित की। इस पर कॉलेज भवन बना हुआ है। यहां विद्यार्थियों के लिए कैंटीन, ऑडिटेरियम अथवा हॉल, आउटडोर-इंडोर गेम्स सुविधाओं का अभाव है। युवा विकास केंद्र भवन, हाइटेक कम्प्यूटर लेब, गल्र्स कॉमन रूम भी नहीं है। कॉलेज में एलएलबी-एलएलएम और डिप्लोमा कोर्स में 750 विद्यार्थी पढ़ते हैं। आठ शिक्षक कार्यरत हैं। संसाधनों और शिक्षकों की कमी से कॉलेज को नैक ग्रेडिंग नहीं मिली है। हालांकि कॉलेज ने यूजीसी में पत्र भेजे हैं।
वर्ष 2005 में लॉ कॉलेज की स्थापना हुई। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2010-11 में कायड़ रोड पर 12 बीघा जमीन आवंटित की। इस पर कॉलेज भवन बना हुआ है। यहां विद्यार्थियों के लिए कैंटीन, ऑडिटेरियम अथवा हॉल, आउटडोर-इंडोर गेम्स सुविधाओं का अभाव है। युवा विकास केंद्र भवन, हाइटेक कम्प्यूटर लेब, गल्र्स कॉमन रूम भी नहीं है। कॉलेज में एलएलबी-एलएलएम और डिप्लोमा कोर्स में 750 विद्यार्थी पढ़ते हैं। आठ शिक्षक कार्यरत हैं। संसाधनों और शिक्षकों की कमी से कॉलेज को नैक ग्रेडिंग नहीं मिली है। हालांकि कॉलेज ने यूजीसी में पत्र भेजे हैं।