राज्य में 27 से ज्यादा सरकारी और निजी विश्वविद्यालय हैं। सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में करीब 50 हजार सीट हैं। सरकारी और निजी पॉलेटेक्निक कॉलेज में डिप्लोमा इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की 49 हजार 921 सीट हैं। इनमें सरकारी कॉलेज में करीब 4 हजार 566 और निजी कॉलेज में 45 हजार 355 सीट हैं। इसके अलावा उच्च शिक्षा विभाग के 200 से ज्यादा सरकारी और 150 से ज्यादा निजी कॉलेज हैं। इनमें 1.50 लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं। पॉलीटेक्निक कॉलेज, विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा विभाग के कॉलेज में दसवीं/बारहवीं/स्नातक कक्षाओं के प्राप्तांकों के आधार विभिन्न कोर्स में प्रवेश होते हैं।
स्कूल में चलती थी व्यावसायिक शिक्षा
साल 1999-2000 तक केंद्रीय और प्रदेश सरकार की स्कूल में व्यावसायिक और कौशल आधारित शिक्षा संचालित थी। एनसीईआरटी के स्कूल में लकड़ी के उत्पाद बनाने, रेडियो-टेप रिकॉर्डिंग रिपेयरिंग, वेल्डिंग, कृषि और अन्य शिक्षा दी जाती थी। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सिलाई, बुनाई-कढ़ाई, लकड़ी के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे व्यावसायिक शिक्षा बंद हो गई। अब स्कूल स्तर पर कंप्यूटर शिक्षा, बेकार सामग्री से उत्पाद बनाने, मॉडल-चार्ट, पेंटिंग, बनाना सिखाया जाता है।
साल 1999-2000 तक केंद्रीय और प्रदेश सरकार की स्कूल में व्यावसायिक और कौशल आधारित शिक्षा संचालित थी। एनसीईआरटी के स्कूल में लकड़ी के उत्पाद बनाने, रेडियो-टेप रिकॉर्डिंग रिपेयरिंग, वेल्डिंग, कृषि और अन्य शिक्षा दी जाती थी। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सिलाई, बुनाई-कढ़ाई, लकड़ी के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे व्यावसायिक शिक्षा बंद हो गई। अब स्कूल स्तर पर कंप्यूटर शिक्षा, बेकार सामग्री से उत्पाद बनाने, मॉडल-चार्ट, पेंटिंग, बनाना सिखाया जाता है।
कॉलेज-विश्वविद्यालय पीछे
राज्य के कई कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर लघु, मझौले और कौशल-व्यावसायिक शिक्षा संचालित नहीं है। पॉलीटेक्कि, इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालयों और अन्य कॉलेज में भी नए रोजगारोन्मुखी एवं कौशल विकास पाठ्यक्रमों की कमी है। तकनीकी शिक्षा विभाग मांग के अनुरूप नए कोर्स-ब्रांच खोलने में उदासीन है। कॉलेज शिक्षा विभाग ने हाल में ट्रिपल आईटी से अनुबंध किया है। पूर्व में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के द्यमिता और कौशल विभाग कोर्स संचालित हैं। इनमें विद्यार्थियों की दाखिलों में रुचि कम है।
राज्य के कई कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर लघु, मझौले और कौशल-व्यावसायिक शिक्षा संचालित नहीं है। पॉलीटेक्कि, इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालयों और अन्य कॉलेज में भी नए रोजगारोन्मुखी एवं कौशल विकास पाठ्यक्रमों की कमी है। तकनीकी शिक्षा विभाग मांग के अनुरूप नए कोर्स-ब्रांच खोलने में उदासीन है। कॉलेज शिक्षा विभाग ने हाल में ट्रिपल आईटी से अनुबंध किया है। पूर्व में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी के द्यमिता और कौशल विभाग कोर्स संचालित हैं। इनमें विद्यार्थियों की दाखिलों में रुचि कम है।
इन विशिष्ट कोर्स का अभाव
राज्य के संस्थानों में प्रोस्थेटिक्स एन्ड ऑर्थेटिक्स, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, सैंडविच मेकेनिक्स, पॉलीमर टेक्नोलॉजी, ग्रीन केमिस्ट्री, थियेयर एन्ड आर्ट, नैनो टेक्नोलॉजी, कॉमर्शियल प्रेक्टिस जैसे कोर्स की कमी है। अन्य राज्यों में लेते दाखिले
तकनीकी और उच्च शिक्षण संस्थानों में व्यावसायिक, रोजगारोन्मुखी कोर्स की कमी से हजारों विद्यार्थी दूसरे राज्यों में दाखिले लेते हैं। यद्यपि बीते 10-15 साल में मांग के अनुरूप नई ब्रांच और कोर्स प्रारंभ हुए हैं, फिर भी देश के अन्य राज्यों के संस्थान में संख्या काफी कम है।
राज्य के संस्थानों में प्रोस्थेटिक्स एन्ड ऑर्थेटिक्स, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, सैंडविच मेकेनिक्स, पॉलीमर टेक्नोलॉजी, ग्रीन केमिस्ट्री, थियेयर एन्ड आर्ट, नैनो टेक्नोलॉजी, कॉमर्शियल प्रेक्टिस जैसे कोर्स की कमी है। अन्य राज्यों में लेते दाखिले
तकनीकी और उच्च शिक्षण संस्थानों में व्यावसायिक, रोजगारोन्मुखी कोर्स की कमी से हजारों विद्यार्थी दूसरे राज्यों में दाखिले लेते हैं। यद्यपि बीते 10-15 साल में मांग के अनुरूप नई ब्रांच और कोर्स प्रारंभ हुए हैं, फिर भी देश के अन्य राज्यों के संस्थान में संख्या काफी कम है।
व्यावसायिक शिक्षा विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है। राज्य में स्कूल-कॉलेज स्तर पर इलेक्ट्रिक वायरिंग, रिपेयरिंग, वुड वर्क जैसे व्यवसाय सिखाए जाते थे। इन्हें पुन: नवीन स्वरूप में शुरू किया जाए तो युवाओं को रोजगार मुहैया हो सकता है।
डॉ. यू. एस. मोदानी, प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज