करीब डेढ़ किलोमीटर व्यास के सरोवर में जलभराव क्षमता करीब 40 फीट तक तो कर दी गई है, लेकिन इसमें वर्षा के अभाव में जलभरने तथा जलस्तर कायम रखने का कोई वैकल्पिक उपाय नहीं किया गया है। इसमें बीसलपुर का पानी डालने की व्यवस्था है।
इसके लिए तत्कालीन जिला कलक्टर गौरव गोयल के प्रयासों से बद्री घाट पर बीसलपुर की लाइन भी बिछा दी गई जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। हालत यह हैं कि सरोवर के किनारे बने घाटों पर गंदगी पसरी है। जल प्रदूषित होता जा रहा है और जलस्तर घटता जा रहा है।
कम जलस्तर के चलते श्रद्धालु ठीक से डुबकी भी नहीं लगा सकते हैं। शीघ्र जल भरने की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किए जाने पर आगामी जून माह में पुष्कर सरोवर के सूखने की संभावनाओ से इंकार नहीं किया जा सकता है।
पुरुषोत्तम मास में नहाएंगे हजारों श्रद्धालु
अब लगातार अमावस तिथि से अगली अमावस तिथि यानी एक माह पुरुषोत्तम मास चल रहा है। इस अवधि में तीर्थ स्नान दान का कई गुना महत्व बताया गया है। यही कारण है कि श्रद्धालुओं की आवक दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन जलस्तर कम होने से भावनाएं आहत हो रही हैं।
कुंड रीते, पुरोहित बेचैन पुष्कर सरोवर में जलस्तर कम होने पर वैकल्पिक व्यवस्था के लिए बनाए गए कुंड भी नाकाम साबित हो रहे हैं। जलभराव के कारण कुंड रीते पड़े हैं। वराह घाट की तरफ के कुंडों में पानी की कमी से श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है। पुष्कर सरोवर के घटते जलस्तर को लेकर इसके पीछे आजीविका चला रहे पुरोहित, व्यापारियों में भी चिन्ता व्याप्त है। दूसरी ओर प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता को पुष्कर सरोवर में जल डालने के निर्देश दे दिए हैं। आरती डोगरा, जिला कलक्टर,
अजमेर