scriptBig issue: सोने-चांदी से भी अनमोल है पानी, इसे यूं तो मत करें बर्बाद | Big issue: water precious for public, save every drop | Patrika News

Big issue: सोने-चांदी से भी अनमोल है पानी, इसे यूं तो मत करें बर्बाद

locationअजमेरPublished: Sep 17, 2018 07:02:41 am

Submitted by:

raktim tiwari

www.patrika.com/rajasthan-news

save water for future

save water for future

रक्तिम तिवारी/अजमेर।

इस वर्ष मानसून के दौरान बीसलपुर बांध नहीं भरने से अजमेर, जयपुर सहित अन्य जिलों के लिए पानी अमृत समान हो गया है। सरकार और जिला प्रशासन पेयजल आपूर्ति को लेकर चिंतित है। बावजूद इसके कई इलाकों में पानी की बर्बादी जारी है। पुलिस लाइन में छत की टंकियों से पानी बहता रहा। बाद में जलदाय विभाग को सूचना देने पर पानी को बंद किया गया।
पुलिस लाइन सहित आसपास के इलाकों में सुबह करीब 6.15 बजे जलापूर्ति की गई। यहां कई क्वार्टरों की छत पर रखी टंकियां भर गई। इसके बाद पानी ओवर फ्लो होकर बहता रहा। पानी की आपूर्ति रोकने के लिए जलदाय विभाग को सूचना देने पर सप्लाई बंद की गई।जुलाई 2019 तक चलाना है पानी
बीसलपुर बांध में मौजूदा वक्त 309 महज आरएल मीटर पानी है। अजमेर, जयपुर शहर और ग्रामीण इलाकों को जुलाई 2019 तक इस पानी के भरोसे रहना है। जलदाय विभाग तो एक पखवाड़े पहले ही जलापूर्ति का समय 48 से बढ़ाकर 72 घंटे कर चुका है। ऐसे में बूंद-बूंद पानी बचाने की बहुत जरूरत है। सरकार, जिला प्रशासन और लोगों को बीसलपुर बांध की कीमत समझ आने लगी है।
टैंकर करते हैं जेब ढीली

जलदाय विभाग प्रतिमाह व्यावसायिक और घरेलू उपयोग पर पानी के बिल भेजता है। घरों, सरकारी-निजी महकमों, स्कूल-कॉलेज, विश्वविद्यालय और अन्य संस्थाओं में औसत बिल 250 से 400 रुपए तक आता है। गर्मियों में पानी की किल्लत होने पर लोगों को 500 से 700 रुपए देकर टैंकर मंगवाने पड़ते हैं।
पर्याप्त पानी नहीं पहुंचता तालाबों तक
जिले में करीब 5,550 एमसीएफटी बारिश का पानी गिरता है। इसमें से ढाई हजार एमसीएफटी पानी ही झीलों-तालाबों अथवा भूमिगत टैंक तक पहुंचता है। बाकी पानी व्यर्थ बह जाता है। इसके अलावा जलाशयों-नदियों में पानी आवक मार्ग अतिक्रमण की चपेट में हैं।
धर्मशाला में चल था अवैध प्राइवेट स्कूल…

सुत्तरखाना क्षेत्र स्थित गुर्जर धर्मशाला में चल रही शिक्षा द कान्वेन्ट स्कूल के फूड पॉइजनिंग का शिकार हुए 76 छात्रों की सम्पूर्ण जांच कर उन्हें चिकित्सालय से छुट्टी दे दी गई। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जगदीश माहेश्वरी ने बताया कि समय रहते छात्रों को शनिवार की देर रात उपचार दे दिए जाने के कारण उनकी हालत में रात को ही सुधार हो गया था। लेकिन एहतियातन उनके स्वास्थ्य का सम्पूर्ण परीक्षण कर छुट्टी दे दी गई। गौरतलब है कि शिक्षा द कान्वेन्ट स्कूल में शनिवार शाम हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को रोटी, दाल व आलू पालक की सब्जी दी गई थी।
खाना खाने के बाद से ही बच्चों में उल्टी व सिरदर्द की शिकायत हो गई। इसके बाद स्कूल के संचालक जयरामसिंह रावत ने तत्काल उन्हें सामान्य चिकित्सालय पहुंचाया था। फूल पाइजनिंग का शिकार हुए बच्चों की सूचना मिलते ही चिकित्साकर्मी व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. माहेश्वरी की देखरेख में उनका उपचार शुरू कर भर्ती कर दिया।
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