कॉलेज और विश्वविद्यालयों में नियमित विद्यार्थियों की 75 फीसदी उपस्थिति जरूरी है। इससे कम उपस्थिति विद्यार्थियों को परीक्षा में बतौर स्वयंपाठी बैठाने के अलावा राजभवन को सूचना भेजना जरूरी है। इसके बावजूद कॉलेज और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति पूरी हो जाती है।
इसीलिए राज्यपाल कल्याण सिंह ने एक उच्च स्तरीय समिति बनाई। मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे. पी. शर्मा, राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति और जोधपुर के जेएनवी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने बायो मेट्रिक प्रणाली से अटेंडेंस कराने की सिफारिश की। राजभवन ने सत्र 2017-18 में अटेंडेंस शुरू करने को कहा।
नहीं हो सकी शुरुआत सभी विश्वविद्यालयों की कक्षाओं में बायो मेट्रिक अटेंडेंस लागू होनी थी। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में फाइल अफसरों के पास गई तो बेतुकी टिप्पणियों का दौर चल पड़ा। अफसरों ने विद्यार्थियों की एक या दोबार अटेंडेंस, मशीनों की खरीद, डाटा सुरक्षा, सर्वर पर भार और अन्य सवाल पूछ लिए। इसके चलते मामला आगे नहीं बढ़ पाया है।
निदेशालय-सरकार तो बेफिक्र राज्य के सरकारी और निजी कॉलेज में भी बायोमेट्रिक प्रणाली से विद्यार्थियों की अटेंडेंस होनी है। सरकार और कॉलेज शिक्षा निदेशालय तो बेखबर है। किसी स्तर पर नवीन प्रणाली पर विचार-विमर्श नहीं हुआ है। सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में रजिस्टर में ही विद्यार्थियों की अटेंडेंस हो रही है।
अगले सत्र में भी मुश्किलें
संस्थाओं की बेरुखी, अफसरों की टिप्पणियों को देखते हुए सत्र 2018-19 में भी बायो मेट्रिक अटेंडेंस की शुरुआत मुश्किल है। न विश्वविद्यालय ना उच्च शिक्षा विभाग गंभीर दिख रहा है। विधानसभा चुनाव में युवाओं की नाराजगी को देखते ही सरकार भी जोखिम नहीं उठाना चाहती है।
संस्थाओं की बेरुखी, अफसरों की टिप्पणियों को देखते हुए सत्र 2018-19 में भी बायो मेट्रिक अटेंडेंस की शुरुआत मुश्किल है। न विश्वविद्यालय ना उच्च शिक्षा विभाग गंभीर दिख रहा है। विधानसभा चुनाव में युवाओं की नाराजगी को देखते ही सरकार भी जोखिम नहीं उठाना चाहती है।