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गवर्नर साहब….ये भी हैं टकराव के मूड में, आप भी चौंक जाएंगे इनका इरादा जानकर

locationअजमेरPublished: Jul 15, 2018 04:22:57 pm

Submitted by:

raktim tiwari

नियमानुसार कॉलेज को सालाना परीक्षा से पहले संबंधित विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों की उपस्थिति का ब्यौरा भेजना होता है।

bio metric attandance

principal should send daily to the attendance report

रक्तिम तिवारी/अजमेर।

राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेज और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की 75 फीसदी अटेंडेंस की सूचना मांगी है। हर साल यह सिलसिला चल रहा है। लेकिन कक्षाओं में बायोमेट्रिक अटेंडेंस के अपने आदेश को ही राजभवन लागू नहीं करा पाया है। कुछ हद तक छात्र संगठनों की नाराजगी और संस्थाओं की बेफिक्री भी इसकी जिम्मेदार है।
राज्यपाल कल्याण सिंह ने दो वर्ष पूर्व शिक्षकों-कर्मचारियों की बायोमेट्रिक मशीन से अटेंडेंस की शुरुआत कराई थी। इसके बाद उन्होंने उच्च, तकनीकी, मेडिकल, संस्कृत, आयुर्वेद, विधि अन्य शिक्षण संस्थानों, कॉलेज-विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस प्रारंभ करने के निर्देश दिए। इस संबंध में राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी, जो रिपोर्ट सौंप चुकी है।
फिर भी नहीं हुई शुरुआत

कक्षाओं में विद्यार्थियों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस पद्धति का तकनीकी परीक्षण भी किया गया। उच्च शिक्षा विभाग ने बीते सत्र में भरतपुर के एक कॉलेज में इसकी प्रायोगिक तौर पर शुरूआत की। बाद में सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू होनी थी। लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ सका।
मांग रहे अटेंडेंस की सूचना

पिछले साल की तरह राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग ने इस बार भी सभी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजा है। इसमें विभागवार विद्यार्थियों की 75 प्रतिशत उपस्थिति, शॉर्ट अटेंडेंस वाली विद्यार्थियों की सूची, कॉलेज से प्राप्त विद्यार्थियों की अटेंडेंस का ब्यौरा मांगा गया है। हकीकत यह सूचनाएं सिर्फ फाइलों में ही कैद रहती है। हैरानगी की बात है, नियमानुसार कॉलेज को सालाना परीक्षा से पहले संबंधित विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों की उपस्थिति का ब्यौरा भेजना होता है। लेकिन ना विश्वविद्यालय ना कॉलेज इसके प्रति गंभीर हैं।
छात्र संगठनों की नाराजगी का खौफ

बायोमेट्रिक अटेंडेंस प्रणाली शुरू नहीं होने के पीछे छात्र राजनीति भी है। प्रणाली लागू होते ही प्रदेश भर में छात्र संगठन नाराज होकर आंदोलन छेड़ सकते हैं। संस्थाओं में शैक्षिक कार्य ठप हो सकता है। ऐसे में सरकार और कॉलेज-विश्वविद्यालय उनकी नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते हैं।
नहीं हो रही दो बार अटेंडेंस…

नियमानुसार कॉलेज और विश्वविद्यालय में शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों को बायोमेट्रिक मशीन में आते-जाते वक्त अंगूठा या अंगुली से अटेंडेंस लगाना जरूरी है। कई कॉलेज और विश्वविद्यालय में इसकी पालना नहीं हो रही। कई लोग सुबह एक बार ही अटेंडेंस लगा रहे हैं। इसके बारे में राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग तक शिकायतें भी पहुंची हैं।
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