आनसागर में कई वर्षों से प्रवासी पक्षी आ रहे हैं। इसके अलावा देशी पक्षियों का भी यहां जमावड़ा रहता है। खासतौर पर सागर विहार कॉलोनी से सटा छोटा उथला और छिछलेदार जलयुक्त टुकड़ा वास्तव में पक्षियों का पसंदीदा क्षेत्र है। इसे कई पक्षियों की प्रजातियों ने अपना घरौंदा बनाया है। पक्षी और प्रकृति प्रेमियों को यहां मिनी बर्ड सेंचुरी सा एहसास होता है। इस पानी में पाए जाने वाले कीट, काई और अन्य पदार्थ प्रवासी पक्षियों का मुख्य भोजन है। रात्रि में बबूल के पेड़ों पर बने घरौंदों में रहते हैं। इसके अलावा रीजनल कॉलेज परिसर और इसके सामने स्थित नई चौपाटी, पुरानी विश्राम स्थली के आसपास भी पक्षी दिखाई देते हैं।
पक्षी विहार बनाने की तैयारी
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर ने बताया कि शहर में प्राकतिक पक्षी विहार विकसित करने की योजना बनाई गई है। नगर निगम के दल और कई पर्यावरणविदें से बातचीत जारी है। संयुक्त टीम ने सागर विहार कॉलोनी, रीजनल कॉलेज, पुष्कर रोड विश्राम स्थली के क्षेत्रों का दौरा भी किया है। जल्द इसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर प्रशासन को सौंपी जाएगी। पक्षी विहार में पंछियों के अनुकूल पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। ताकि वे प्राकृतिक आवास बना सकें।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर ने बताया कि शहर में प्राकतिक पक्षी विहार विकसित करने की योजना बनाई गई है। नगर निगम के दल और कई पर्यावरणविदें से बातचीत जारी है। संयुक्त टीम ने सागर विहार कॉलोनी, रीजनल कॉलेज, पुष्कर रोड विश्राम स्थली के क्षेत्रों का दौरा भी किया है। जल्द इसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर प्रशासन को सौंपी जाएगी। पक्षी विहार में पंछियों के अनुकूल पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। ताकि वे प्राकृतिक आवास बना सकें।
बन सकती है मिनी बर्ड सेंचुरी वैशाली नगर, पुष्कर रोड, आनसागर लिंक रोड और आसपास के इलाके में पक्षियों के लिए प्राकृतिक वैटलैंड मौजूद था। आबादी क्षेत्र बढ़ते ही यह वैटलैंड लगभग खत्म हो गए हैं। आनासागर देशी और प्रवासी पक्षियों का उत्तम आश्रय स्थल है। यहां पक्षियों के लिए खाद्य पदार्थ, जलवायु और पेड़-पौधे मौजूद हैं, जो इन्हें पसंद आते हैं। स्थानीय प्रशासन और पर्यावरणविद प्रयास करें तो यह मिनी बर्ड सेंचुरी और भविष्य का पर्यटन केंद्र बन सकता है।