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ब्लू व्हेल और पॉर्न साइट से बदला मूड, पूरे देश में चलेगा ये साइकॉलोजी कोर्स

locationअजमेरPublished: Oct 07, 2017 08:17:22 am

Submitted by:

raktim tiwari

केंद्रीय और राज्यों के विश्वविद्यालय-कॉलेज को इसके अनुरूप पाठ्यक्रम बनाना होगा। यूजीसी ने इसके लिए सभी संस्थाओं को निर्देश जारी कर दिए हैं।

new psychology-course in college and university

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देश के सभी कॉलेज और विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विषय का नया कोर्स चलेगा। यूजीसी की विशेषज्ञ समिति ने यह कोर्स तैयार किया। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में हुए समयानुकूल बदलाव और बिन्दुओं को जोड़ा गया है। सभी केंद्रीय और राज्यों के विश्वविद्यालय-कॉलेज को इसके अनुरूप पाठ्यक्रम बनाना होगा। यूजीसी ने इसके लिए सभी संस्थाओं को निर्देश जारी कर दिए हैं।
देश के करीब सभी विश्वविद्यालय-कॉलेज में मनोविज्ञान विषय पढ़ाया जाता है। इसमें मानवीय व्यवहार, सामाजिक परिदृश्य, मनोवैज्ञानिक परिस्थिति, आदत और व्यवहार, दैनिक क्रिया-कलाप और अन्य बिन्दु शामिल हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने संस्थाओं में पढ़ाए जा रहे मनोविज्ञान कोर्स पर विस्तृत चर्चा की। इसमें यह उजागर हुआ कि देश में विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषागत, परस्पर संवाद और अन्य क्षेत्रों में त्वरित बदलाव जारी हैं।
कक्षाओं में पढ़ाए जाने वाला मनोविज्ञान कोर्स इन बिन्दुओं पर खरा नहीं उतर रहा। ऐसे में कोर्स में बदलाव जरूरी है। यूजीसी की उच्च स्तरीय समिति ने करीब छह महीने तक चर्चा के बाद नया कोर्स तैयार किया है। इसे बीए/बीएससी, एमए, एमएससी/पीएचडी और विषयों में डिग्री में पढ़ाया जाएगा।
यूं पड़ी साइकोमेट्रिक टेस्ट की जरूरत
शैक्षिक जगत में मनोविज्ञान कोर्स के अब तक पुराने बिन्दुओं के इर्द-गिर्द घूम रहा था। रेयान इन्टरनेशनल स्कूल गुरुग्राम में पिछले सितम्बर में हुए प्रद्युम्न हत्याकांड ने मनोविज्ञानियों को भी झकझोरा। सीबीएसई ने सभी स्कूल को बस चालक, परिचालक, क्लीनर, चतुर्थ श्रेणी और सहायक कर्मचारियों का अनिवार्य पुलिस वेरीफिकेशन और मनोविज्ञानी (साइकोमेट्रिक) परीक्षण-वेरीफिकेशन जरूरी किया है। इसमें से साइकोमेट्रिक टेस्ट का स्कूलों ने विरोध किया है। उधर विशेषज्ञों का मानना है, मनोवैज्ञानिक बदलाव ही लोगों को अपराध और निराशा की तरफ धकेल रहा है।
इन क्षेत्रों में बढ़ी चुनौतियां (मनोविज्ञान के तहत)
-मल्टीनेशनल और निजी कम्पनियों में थकाऊ कामकाज -सोशल मीडिया की तरफ युवाओं और आमजन का बढ़ता रुझान

-पॉर्न साइट की तरफ युवाओं-बच्चों की बढ़ती लत
-ब्लू व्हेल जैसे खतरनाक गेम का घातक परिणाम
-भागदौड़ और कार्य बोझ से बढ़ता मानसिक चिड़चिड़ापन -दैनिक खान-पान, आदत-व्यवहार में बदलाव

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