राजस्व मंडल में भरतपुर, नागौर, जयपुर, दौसा,सीकर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, झुंझुनूं सवाईमाधोपुर, अलवर तथा जैसलमेर जिले के सर्वाधिक मुंतकिल प्रार्थना पत्र लंबित चल रहे है। ऐसे में पक्षकार को अनावश्यक रूप से राजस्व मंडल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
निचली अदालत मेें मूल मुकदमें की सुनवाई के दौरान किसी पक्षकार को किसी पीठासीन अधिकारी (पीओ) जिनमें एसडीओ,आरएए, एसीएम, डीसी, एडीसी, एडीएम, कलक्टर व अन्य अधीनस्थ राजस्व अदालत से न्याय की उम्मीद नहीं होती है अथवा पक्षकार को पीठासीन अधिकारी के हावभाव या आचारण से यह लगता है कि उन्हें न्याय नहीं मिल सकता है या वो उनके साथ पक्षपात कर रहे हैं तो जिस पक्ष को ऐसा लगता है वह जिले की ऊपरी अदालत अथवा राजस्व मंडल में मुंतकिल प्रार्थना पत्र व्यक्तिगत रूप से उस पीठासीन अधिकारी के पेश करता है। हालांकि करीब 90 फीसदी मुंतकिल प्रार्थना पत्र राजस्व मंडल में पेश किए जाते हैं। राजस्व मंडल इस पर सुनवाई कर निर्णय पारित करता है।
मूल दावे ही तय हो गए,फिर भी निगरानी लंबित
राजस्व मंडल में बड़ी संख्या में कंटेप्ट के मामले भी लम्बित हैं। इनमें से कई ऐसे प्रकरण हैं जिनमें जिस अधिकारी पर कंटेम्पट लगाया गया है वह सेवानिवृत हो चुके हैं यहा उनकी मौत हो चुकी है। कई परिवादी भी इस श्रेणी में है जिनकी मौत हो चुकी है लेकिन उनका कंटेम्पट का मुकदमा तारीखों में चल रहा है।