scriptराजस्व मंडल: बेवजह पेशी दर पेशी खिंच रहे 400 प्रकरण | Board of Revenue: 400 cases being pulled unnecessarily | Patrika News

राजस्व मंडल: बेवजह पेशी दर पेशी खिंच रहे 400 प्रकरण

locationअजमेरPublished: May 22, 2022 09:51:56 pm

Submitted by:

bhupendra singh

-मुकदमों की सुनवाई स्थानांतरण का मामला ,सम्बंधित अधिकारी ही बदल चुके
-कई का हो गया तबादला तो कई हो गए सेवानिवृत्त
-फिर भी दी जा रहीं हैं लम्बी- लम्बी तारीेखें

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भूपेन्द्र सिंह
राजस्व मंडल में करीब 400 ऐसे मुकदमें हैं जो बेवजह लड़े जा रहे हैं। यह मुंतकिल प्रार्थना पत्र (ट्रांसफर एप्लीकेशन) से सम्बिन्धत हैं। ये ऐसे मुकदमें हैं जिनका निर्णय स्वत: हो चुका है वह भी परिवादी के पक्ष में लेकिन बावजूद यह मुकदमें राजस्व मंडल में लम्बी- लम्बी तारीखों के बीच उलझे हुए हैं। जबकि पीठासीन अधिकारी का स्थानांतरण हो जाने से यह मुंतकिल प्रार्थना पत्र अब सारहीन हो चुके हैं। इन मुंतकिल प्रार्थना पत्रों का कोई औचित्य नहीं रह गया। यह मुंतकिल प्रार्थना पत्र आरएए, डीसी,एडीसी, कलक्टर,एडीएम, एसीएम,एसडीओ के विरुद्ध चल रहे हैं जिनका अन्य स्थान पर तबादला हो चुका है। इसके बावजूद राजस्व मंडल में मुंतकिल प्रार्थना पत्र पेंडिग होने के कारण उन प्रकरणों में निचली अदालत मेें भी मुकदमे की सुनवाई प्रभावित है। मूल मुकदमें में पैरवी के बजाय परिवादी को राजस्व मंडल में अनावश्यक तारीखें झेलनी पड़ रही हैं।
जैसलमेर जिले के सर्वाधिक मामले
राजस्व मंडल में भरतपुर, नागौर, जयपुर, दौसा,सीकर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, झुंझुनूं सवाईमाधोपुर, अलवर तथा जैसलमेर जिले के सर्वाधिक मुंतकिल प्रार्थना पत्र लंबित चल रहे है। ऐसे में पक्षकार को अनावश्यक रूप से राजस्व मंडल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
इसलिए लगाए जाते हैं मुंतकिल प्रार्थना पत्र
निचली अदालत मेें मूल मुकदमें की सुनवाई के दौरान किसी पक्षकार को किसी पीठासीन अधिकारी (पीओ) जिनमें एसडीओ,आरएए, एसीएम, डीसी, एडीसी, एडीएम, कलक्टर व अन्य अधीनस्थ राजस्व अदालत से न्याय की उम्मीद नहीं होती है अथवा पक्षकार को पीठासीन अधिकारी के हावभाव या आचारण से यह लगता है कि उन्हें न्याय नहीं मिल सकता है या वो उनके साथ पक्षपात कर रहे हैं तो जिस पक्ष को ऐसा लगता है वह जिले की ऊपरी अदालत अथवा राजस्व मंडल में मुंतकिल प्रार्थना पत्र व्यक्तिगत रूप से उस पीठासीन अधिकारी के पेश करता है। हालांकि करीब 90 फीसदी मुंतकिल प्रार्थना पत्र राजस्व मंडल में पेश किए जाते हैं। राजस्व मंडल इस पर सुनवाई कर निर्णय पारित करता है।
मूल दावे ही तय हो गए,फिर भी निगरानी लंबित
राजस्व मंडल में करीब 66 हजार मुकदमों का अंबार है। जिनमें ऐसे कई प्रकरण हैं जिनमें मूल दावा ही निर्णित हो चुका है लेकिन फिर भी उनसे संबिन्ध्ंत निगरानी याचिकाएं पेंडिग हैं। यदि इस पर भी प्रयास किए जाएं तो जिन वादों में मूल दावा निस्तारित हो चुके हैं उनसे संबंधित निगरानियां भी निस्तारित हो सकती हैं।
कंटेम्पट भी बिना वजह चल रहे
राजस्व मंडल में बड़ी संख्या में कंटेप्ट के मामले भी लम्बित हैं। इनमें से कई ऐसे प्रकरण हैं जिनमें जिस अधिकारी पर कंटेम्पट लगाया गया है वह सेवानिवृत हो चुके हैं यहा उनकी मौत हो चुकी है। कई परिवादी भी इस श्रेणी में है जिनकी मौत हो चुकी है लेकिन उनका कंटेम्पट का मुकदमा तारीखों में चल रहा है।
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