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अजमेर

Breaking: दरगाह में हिन्दू प्रतीक चिन्ह का दावा, पुलिस जाप्ता तैनात

दिल्ली स्थित महाराणा प्रताप सेना ने दरगाह में भी हिन्दू प्रतीक चिन्ह होने का दावा किया। दरगाह में अतिरिक्त पुलिस जाप्ता तैनात किया गया है।

अजमेरMay 26, 2022 / 07:16 pm

raktim tiwari

दरगाह में भी हिन्दू प्रतीक चिन्ह होने का दावा किया।

Breaking: किया ख्वाजा साहब की दरगाह में हिन्दू प्रतीक चिन्ह का दावा

ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग के विवाद का साया अजमेर की ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह तक पहुंच गया। दिल्ली स्थित महाराणा प्रताप सेना ने कथित तौर पर दरगाह में भी हिन्दू प्रतीक चिन्ह होने का दावा किया। इससे गुरुवार को हड़कंप मच गया। जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी दरगाह पहुंचे। मामला संवेदनशील होने के कारण दरगाह में अतिरिक्त पुलिस जाप्ता तैनात किया गया है।
दिल्ली स्थित महाराणा प्रताप सेना द्वारा ट्वीट कर सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हिन्दू प्रतीक चिन्ह होने का दावा किया गया। इसमें कथित तौर पर हिन्दू देवी-देवताओं से जुड़ चिन्ह बताए गए। ज्यों ही इसकी सूचना प्रशासन तक पहुंची एकाएक हड़कंप मच गया। जिला कलक्टर अंशदीप के निर्देश पर एडीएम सिटी भावना गर्ग तत्काल दरगाह पहुंची। उनके अलावा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ग्रामीण वैभव शर्मा सहित अन्य भी पहुंचे।
अतिरिक्त जाप्ता तैनात
यूं तो दरगाह की सुरक्षार्थ हाड़ी रानी बटालियन तैनात है। लेकिन संवेदनशील मामला होने से प्रशासन ने तत्काल पुलिस का अतिरिक्त जाप्ता तैनात किया। प्रशासनिक और पुलिस टीम ने दरगाह परिसर का जायजा लिया। साथ ही लोगों को शांति और धैर्य रखने की अपील की।
विश्व प्रसिद्ध है दरगाह
सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह विश्व प्रसिद्ध है। ख्वाजा साहब 11 वीं शताब्दी में ईरान के संजर प्रांत से अजमेर आए थे। उन्होंने अजमेर में रहकर इबादत की थी। प्रतिवर्ष रजब माह में छह दिन तक उनका सालाना उर्स भरता है। इसमें भारत सहित विभिन्न देशों के जायरीन शिरकत करते हैं। दरगाह परिसर में ख्वाजा साहब की पत्नी सहित कई लोगों की मजार है।

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अजमेर से सूफीयत की शुरुआत
दुनिया में सूफीवाद की शुरुआत अजमेर से मानी जाती है। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ही सूफीवाद के जनक माने जाते हैं। उनके बाद हजरत निजामुद्दीन औलिया, ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी सहित अन्य संतों ने सूफी विचार धारा को आगे बढ़ाया।

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