कोई नहीं दिखा रहा दम. . . अजमेर की पहाडिय़ों पर आज से नहीं बल्कि सालों से अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है। यहां खनन माफिया के हौसलेे इतने बुलंद हैं कि कोई उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं करते। खरेखड़ी की पहाड़ी पर गुरुवार को कुछ ऐसा ही नजारा नजर आया। यहां आधी पहाड़ी चट कर दी गई लेकिन खनन माफिया फिर भी बाज नहीं आ रहे।
कदम-कदम पर ट्रॉलियां खरेखड़ी के पहाड़ी इलाके में कदम-कदम पर ट्रॉलियां और जेसीबी लगी नजर आई। यहां करीब 500 से 1000 वर्गमीटर के दायरे में निर्बाध अवैध खनन चल रहा है। अवैध खनन से निकले पत्थरों के अलावा खंजा पत्थर व कंकरीट, मलबा आदि ट्रेक्टर टॉलियों में भरकर शहर के विभिन्न इलाकों में सप्लाई किया जा रहा है। पुष्कर और अजमेर के रास्ते पर गुरुवार को भी पत्थरों से भरी कई ट्रॉलियां दौड़ती नजर आई।
चोटी तक पहुंचने के लिए बना लिए रास्ते खरेखड़ी पहाड़ी की आखिरी चोटी तक पहुंचने के लिए खनन माफिया ने रास्ते तक बना लिए हैं। आम आदमी का जहां चढऩा तक मुश्किल होता था, वहां बुलडोजर चढ़ाए जा रहे हैं। लेकिन सरकारी अधिकारी पहाड़ी के आस-पास फटक तक नहीं सकते, कार्रवाई की बात तो स्वप्न सरीखा है।
बिना नम्बरी गाड़ी अवैध खनन के कार्य में करीब 100 ट्रेक्टर ट्रॉलियां दिन-रात लगी हुई हैं। खास बात यह कि इस काम में लगे वाहनों पर परिवहन विभाग के रजिस्ट्रेशन नंबर तक नहीं हैं। इसके बावजूद यह ट्रॉलियां धड़ल्ले से शहर में दौड़ रही हैं और यातायात पुलिस चालान व जब्ती आदि भी नहीं करती।
संभाग के भी बुरे हाल, 6 नदियों पर खतरा अजमेर संभाग के सभी चारों जिलों में अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है। अजमेर में जहां आलनियावास, भांवता, रूपनगढ़, सावर, नयागांव, गुढ़ा, देवलियाकलां, बड़ली, कुरथल आदि गांवों में अवैध खनन हो रहा है, वहीं भीलवाड़ा के जहाजपुर, मंगरोप, हमीरगढ़, आकोला, मांडलगढ़, कान्याखेड़ी, बागौर क्षेत्र समेत पूरे जिले में खनन माफिया फैला है। नागौर में रियाबड़ी, कुचेरा, लाडपुरा, आलनियावास, लूंगिया, झिंटिया, रोहिसा, रोहिसी, कीरो की ढाणी, लाडवा, जसनगर, पलाड़ा, थांवला, हरसोर, भैरुंदा और टोंक के चुली, बरवास, ककराज, जेबाडिय़ा, बनेठा, मंडावर, चिरोज, सुरेली सहित एक दर्जन अन्य गांव खनन माफिया के बंधक बने हुए हैं। इससे बनास, मासी, लूणी, कोठारी, खारी और डाई नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
जमीन किसकी. . .में ही उलझे विभाग हमारी जमीन पर दीवारें बना रखी हैं, जिस जगह खनन की बात की जा रही है, वह एडीए (अजमेर विकास प्राधिकरण) की जमीन है। प्रशासनिक बैठकों में कई बार यह मुद्दा उठा है लेकिन एडीए की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
-सुनील चिद्री, डीएफओ अजमेर
खरेखड़ी की पहाडिय़ां वन विभाग के नाम हैं। गैर मुमकिन पहाड़ वन विभाग के नाम ही दर्ज है। हमने पूर्व में जांच की थी। एडीए की जमीन पहाड़ी से काफी नीचे है।
-अरविंद कविया, तहसीलदार अजमेर विकास प्राधिकरण