ना शिक्षा विभाग की लगाम ना सरकार कर रही शिकंजा प्राइवेट स्कूलों में मासूमों पर बस्ते का भार कम करने के लिए ना तो शिक्षा विभाग किसी तरह का लगाम लगाती है ना सरकार शिकंजा कस रही है। प्राइवेट स्कूलों की ओर से छोटे बच्चों के लिए अलग-अलग तरह की पुस्तकें, कॉपियां, ड्रॉइंग बुक आदि चला देती हैं।
जेएलएन अस्पताल के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमेश्वर हर्षवद्र्धन ने बताया कि बच्चों के बस्ते के अत्यधिक भार से गर्दन का दर्द, कंधे एवं पीठ में दर्द शुरू हो जाता है। जिन बच्चों में पहले से ही कैल्सियम की कमी एवं विटामिन डी की कमी हैं उनके लिए यह बीमारी जीवन भर के लिए बन जाती है। कुछ बच्चों के पैरों ेमं दर्द शुरू हो जाता है। वहीं बच्चों में टेडापन भी हो जाता है।
कंधे, गर्दन का दर्द बढऩे लगा बच्चों में प्राइवेट स्कूलों की नर्सरी व प्राइमरी स्कूलों के छोटे बच्चों में बस्ते के बोझ के चलते कंधे मेंं दर्द,, गर्दन एवं पीठ में दर्द की बीमारी बढ़ रही है। जिन बच्चों में कैल्सियम की कमी हैं उनके लिए यह खतरनाक साबित हो रही है। कई बच्चों में टेडापन के भी संकेत मिले हैं। वे ऐसे बच्चे हैं जो हमेशा एक ही कंधे पर बस्ता रखकर स्कूल आते-जाते हैं।