कई युगल व अकेले भी ऊंट की सवारी (Camel ride) का लुत्फ उठाता है तो अधिकतर परिवार कैमल सफारी पर सफर करते हैं। वैसे तो पुष्कर में यह सुविधा पूरे साल रहती है, लेकिन मेले के समय रौनकता और अधिक बढ़ जाती है। इस व्यवसाय से डेढ़ हजार परिवार जुड़े हुए हैं। पुष्कर में करीब सात सौ कैमल सफारी है।
पुष्कर से खास नाता इस व्यवसाय से जुड़े बाबू भाई के अनुसार पुष्कर और ऊंटों के बीच गहरा नाता (deaply rilation) है। कैमल सफारी लुत्फ विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ देश के लोग भी उठा रहे हैं। पुष्कर में पूरे साल नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद,अहमदाबाद, सूरत, बैंगलूरू, पटना, लखनऊ, चंडीगढ़, पानीपत, इंदौर, भोपाल, जयपुर,कोटा,जोधपुर समेत कई बड़े शहरों के पर्यटकों की आवाजाही रहती है। राजूलाल के अनुसार वह कैमल सफारी के लिए छह हजार रुपए मासिक नौकरी कर रहा है। उसके जैसे करीब बारह सौ लोगों को कैमल सफारी मालिक से रोजगार मिल रहा है।
दो किमी का सफर पुष्कर के रेतीले धोरों में कैमल सफारी (camel ride) का करीब दो किमी का सफर हो जाता है। इस दौरान रेत के ऊंचे टीले,सावित्री माता मंदिर क्षेत्र, पुष्कर सरोवर के चारों ओर भ्रमण होता है। गर्मी के समय पर्यटक कम आते हैं, लेकिन सर्दी में संख्या बढ़ जाती है। ऊंटों की पहचान पुष्कर से होने लगी है।
एक राउंड के पांच सौ से बारह सौ रुपए पुष्कर मेले (pushakar fair) के समय एक बार कैमल सफारी की दर पांच से सौ रुपए होती है। इसके अलावा पूरे बारह माह एक हजार से बारह रुपए की दर होती है। कैमल सफारी मालिक (camel ride owner) कैलाश के अनुसार मेले के समय अधिक से अधिक लोग सफर कर सके। इसलिए दर कम ली जाती है। इस व्यवसाय में कभी उतार-चढ़ाव नहीं आया। जो पुष्कर घूमने आया है। वह कैमल सफारी (camel ride) का लुत्फ उठाए बगैर नहीं जाता।
अकेले ऊंट की सवारी पुष्कर के रेतीले धोरों में अकेले ऊंट की सवारी (camel ride) करने वालों की संख्या भी कम नहीं है। एक ऊंट पर दो से तीन लोग बैठ सकते हैं। सजे हुए ऊंट पर गद्दीनुमा आसन रखा जाता है। इस पर बैठकर ऊंट जब चलता है तो हिचकोले खाते समय संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है। कई लोग गिरने के भय से ऊंट की सवारी में रूचि नहीं दिखाते,लेकिन परदेसी सैलानी इस सवारी को अधिक पसंद कर रहे हैं।