पकड़े जा चुके है अपराधी दरगाह क्षेत्र में जायरीन, खानाबदोशी की आड़ में अपराधी तत्व पनाह ले लेते हंै। पूर्व में स्थानीय पुलिस की मदद से दिल्ली, मुम्बई व कोलकाता जैसी मेट्रो सिटी की पुलिस हत्या जैसे संगीन मामले के आरोपियों को अजमेर से गिरफ्तार कर चुकी है। अपराधी दरगाह क्षेत्र में फरारी काटते मिले हैं। ऐसे में दरगाह सुरक्षा पुलिस के सामने बड़ी चुनौती है।
अंजुमन-दरगाह कमेटी का मिला साथ पुलिस की कार्रवाई में खादिमों की संस्था अंजुमन के पदाधिकारी और दरगाह नाजिम साथ रह रहे हैं। फिलहाल खादिमों की तरफ से किसी तरह का कोई विरोध सामने नहीं आया है। अंजुमन पदाधिकारियों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई से उन्हें कोई ऐतराज नहीं है। उल्लेखनीय है कि एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने 2 अक्टूबर को खादिमों की दोनों संस्था, दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों को सामूहिक बैठक लेकर दरगाह सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए तलाशी का निर्णय किया था।
दरगाह में तय है रात को इबादत की जगह
दरगाह में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा माहौल खराब किए जाने की शिकायतें मिलने के बाद दरगाह में रात के समय जायरीन के सोने और फालतु बैठने पर दरगाह कमेटी ने 12 जुलाई 2019 को पाबंदी लगा दी थी। इसके अनुसार जायरीन रात 11 बजे से सुबह 4 बजे तक तय किए गए पांच स्थानों पर ही बैठ कर इबादत कर सकते हैं। इसमें अहाता-ए-नूर, पांयती दरवाजा, जन्नती दरवाजा, शाहजहानी मस्जिद और संदली मस्जिद शामिल है।
दरगाह में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा माहौल खराब किए जाने की शिकायतें मिलने के बाद दरगाह में रात के समय जायरीन के सोने और फालतु बैठने पर दरगाह कमेटी ने 12 जुलाई 2019 को पाबंदी लगा दी थी। इसके अनुसार जायरीन रात 11 बजे से सुबह 4 बजे तक तय किए गए पांच स्थानों पर ही बैठ कर इबादत कर सकते हैं। इसमें अहाता-ए-नूर, पांयती दरवाजा, जन्नती दरवाजा, शाहजहानी मस्जिद और संदली मस्जिद शामिल है।
हाजरी वालों को रियायत दरगाह कमेटी ने दरगाह में हाजरी में रहने वालों के लिए भी व्यवस्था की है। दरगाह कमेटी की ओर से ऐसे जायरीन की पहचान का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। उससे दरगाह में ठहरने का वक्त और उसकी पहचान संबंधित दस्तावेज भी रखे जा रहे हैं। बिना पहचान पत्र के रहने वाले को दरगाह परिसर में ठहरने नहीं दिया जाएगा
इनका कहना है… दरगाह परिसर में कई लोग ऐसे है जो लम्बे समय से बैठे रहते हैं। इनकी आड़ में बैठने वाले कुछ संदिग्ध लोग दरगाह सुरक्षा को खतरा है। यहां जमे कई लोग सुरक्षा, पुलिस की गतिविधि के लिए खतरा है। ऐसे में कम से कम 24 घंटे में एक बार दरगाह को खाली किया जाना और पुन: तस्दीक व तलाशी के बाद ही भीतर जाने की प्रक्रिया नियमित चलेगी।
कुंवर राष्ट्रदीप, पुलिस अधीक्षक