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स्टूडेंट्स के मतलब की खबर, अब स्कूल में भी मिलेंगी सीबीएसई और एनसीईआरटी की बुक्स

locationअजमेरPublished: Feb 17, 2018 09:00:36 pm

Submitted by:

raktim tiwari

दूसरे प्रकाशकों की किताबें बेचने पर सीबीएसई स्कूल की मान्यता निरस्त करेगा।

cbse and ncert books in schools

cbse and ncert books in schools

रक्तिम तिवारी/अजमेर।

एनसीईआरटी और सीबीएसई की किताबें अब सीबीएसई से संबद्ध स्कूल में भी उपलब्ध होंगी। इसके लिए इन्हें एनसीईआरटी के पोर्टल पर पंजीयन कराने के अलावा किताबों की संख्या बतानी होगी। इससे बोर्ड स्कूलों पर नजर रख सकेगा। दूसरे प्रकाशकों की किताबें बेचने पर सीबीएसई स्कूल की मान्यता निरस्त करेगा।
सीबीएसई ने पिछले साल 19 अप्रेल और 9 अगस्त को सीबीएसई और एनसीईआरटी किताबों को लेकर संबंधित आदेश जारी किए थे। इसके संदर्भ में स्कूल को पत्र भेजा गया है। सत्र 2018-19 के तहत स्कूल लघु आउटलेट (कियोस्क) के जरिए विद्यार्थियों को सिर्फ एनसीईआरटी और सीबीएसई की किताबें ही उपलब्ध करा सकेंगे।
इसके लिए एनसीईआरटी की वेबसाइट पर पंजीयन कर विद्यार्थियों के अनुरूप किताबों की संख्या देनी होगी। स्कूल पेन-पैंसिल, रजिस्टर, कॉपी, रबर-शार्पनर जैसी सामग्री भी रख सकेंगे। स्कूलों को इन्हें मूल दर पर ही विद्यार्थियों को उपलब्ध कराना होगा। ज्यादा दाम पर किताबें बेचने अथवा जबरन दूसरे राइटर की किताब थोपने पर सीबीएसई कार्रवाई करेगा।
वरना होगी मान्यता निरस्त
स्कूल में सीबीएसई/ एनसीईआरटी के अलावा मनमर्जी या अन्य प्रकाशकों की किताबें उपलब्ध कराने पर रोक रहेगी। जबरन दूसरी किताबें थोपने की शिकायत मिलने पर स्कूल की मान्यता निरस्त होगी। संबंधित स्कूल के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए परिजन सीबीएसई, एनसीईआरटी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को शिकायत भेज सकेंगे। परिजनों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे।
परिजन पर नहीं बनाएंगे दबाव
पत्र में बताया गया है कि अभिभावक चाहें तो स्कूल या खुले बाजार से एनसीईआरटी/ सीबीएसई की किताबें और अन्य सामग्री खरीद सकेंगे। स्कूलों द्वारा परिसर या किसी खास दुकान से किताबें खरीदने के लिए बाध्य किए जाने पर कार्रवाई होगी। ऐसी स्कूल को डिबार किया जाएगा। भविष्य में उनकी मान्यता निरस्त की जाएगी।
फिर भी करते हैं मनमानी
सीबीएसई के तमाम नियम और सख्ती के बावजूद स्कूल परवाह नहीं करते हैं। हर साल परिजनों और स्टूडेंट्स को जबरन किताबें थोपते हैं। किताबों की मनमाने दाम वसूले जाते हैं। खुद की सुविधानुसार दुकानें फिक्स की जाती हैं। ताकि वहां से होने वाली बिक्री की एवज में कमीशन मिल सके। बुक सेलर्स भी सेशन स्टार्ट होते ही स्कूलों में मंडराने लगते हैं। यह गोरखधंधा कई बरसों से जारी है। सीबीएसई और एनसीईआरटी भी समय रहते नेट पर किताबें मुहैया नहीं कराते।

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