परिजन-विद्यार्थियों के सवाल – मेडिकल/इंजीनियरिंग की अखिल भारतीय परीक्षाएं देने में कोई परेशानी तो नहीं होगी?-किसी विद्यार्थी ने दसवीं के बाद स्कूल बदला तो विषय मिलने में दिक्कत तो नहीं होगी? -विद्यार्थियों को एक विषय या सभी विषयों में मिलेगा परीक्षा देकर बेहतर परफॉरमेंस का विकल्प?
-प्रमोशन फार्मूल से किस तरह चुनेंगे विद्यार्थी ग्यारहवीं कक्षा में विषय।
-स्कूल प्रमोशन फार्मूल को आधार बनाएंगे या थोपेंगे मनमाने विषय?-वार्षिक परीक्षाएं नहीं होने पर कैसे होगा ओवर ऑल परफॉरमेंस मूल्यांकन? -स्कूल की मनमानी को रोकने के लिए सीबीएसई के क्या रहेंगे निर्देश?
परीक्षा नियंत्रक डॉ. संयम भारद्वाज से सवाल-जवाब पत्रिका-दसवीं की परीक्षाएं रद्द् हो गई हैं, प्रमोशन फार्मूला क्या होगा? भारद्वाज-बोर्ड एक्सरसाइज में जुट गया है। इसके लिए वृहद स्तर पर चर्चा हो रही है।
पत्रिका-दसवीं के बाद विद्यार्थी ग्यारहवीं में विषय किस आधार पर चुनेंगे? भारद्वाज-हम जो भी प्रमोशन फार्मूला बनाएंगे, वही विषय चयन का आधार बनेगा। पत्रिका-बोर्ड की वार्षिक परीक्षा परिणाम के बाद भी अक्सर स्कूल विषय आवंटन में मनमानी करते हैं। इस बार परीक्षाएं नहीं होंगी, स्कूल की मनमानी कैसे रुकेगी?
भारद्वाज-पहले प्रमोशन फार्मूला बनाना ज्यादा जरूरी है। इसके अनुसार दसवीं का परिणाम जारी होगा। वही विषय आवंटन का आधार भी बनेगा। पत्रिका-परिजनों/विद्यार्थियों में विषय आवंटन को लेकर चिंताएं उभरने लगी हैं। कहीं विद्यार्थियों के कॅरियर पर फर्क तो नहीं पड़ेगा।
भारद्वाज-सीबीएसई विद्यार्थियों के हित को सर्वोपरी रखता आया है। जो भी फार्मूला बनेगा वह विद्यार्थियों के कॅरियर और भविष्य से जुड़ा होगा। फैक्ट फाइल देश में दसवीं कक्षा में पंजीकृत विद्यार्थी-21 लाख 50 हजार 76
सीबीएसई के देश में रीजन-16
अभी यूं दिए जाते हैं विषय विद्यार्थियों को विषय आवंटन स्कूल स्तर पर किया जाता है। ज्यादातर स्कूल में 90 से 100 प्रतिशत तक अंक प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को विज्ञान विषय आवंटित किया जाता है। 60 से 80 प्रतिशत तक कॉमर्स अथवा कला संकाय के विषय आवंटित होते हैं। कई स्कूल विद्यार्थियों के प्रथम, द्वितीय परीक्षा और अद्र्ध वार्षिक परीक्षा के अंकों का औसत भी निकालते हैं। बाद में बोर्ड के वार्षिक परीक्षा परिणाम से उसकी गणना कर विषय आवंटन किया जाता है।
पहले होता था सतत् एवं समग्र मूल्यांकन सीबीएसई साल 2009-10 से 2017-18 तक दसवीं में सतत एवं समग्र मूल्यांकन के तहत परीक्षाएं कराता था। इसके तहत विद्यार्थियों को स्कूल अथवा बोर्ड पैटर्न से परीक्षा देने का विकल्प मिलता था। स्कूल स्तर की परीक्षाओं के लिए बोर्ड विषयवार मॉडल पेपर सेट और अंक प्रणाली भेजता था। इन्हीं सेट में से स्कूल को इच्छानुसार पेपर तय करना होता था।
जांच के बाद विद्यार्थियों की कॉपियां सीबीएसई भेजनी पड़ती थीं। सीबीएसई वार्षिक परीक्षा परिणाम जारी करता था। इसमें क्यूमेलेटिव ग्रेड पॉइंट एवरेज (सीजीपीए) अंकों के बजाय ग्रेडिंग होती थी। इसकी ग्रेडिंग के आधार पर ग्यारहवीं में विद्यार्थियों को विषय आवंटित किए जाते थे। अब अंकों के अलावा ग्रेडिंग भी मिलती है।
यूं मिलती है ग्रेडिंग 90 से 100: ए-1
81 से 90: ए-271 से 80:बी-1 61 से 70: बी-2 51 से 60:सी-1
41 से 50: सी-2