अजमेर रीजन में सामान्य वर्ग के 1 लाख 3 हजार 048 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी। इनका परिणाम 96.96 (पिछले साल 95.59) रहा है। छात्राओं का परिणाम 98.04 (पिछले साल 97.34) और छात्रों का परिणाम 96.24 (पिछले साल 94.41) प्रतिशत रहा है। इसी तरह अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों का कुल परिणाम 95.12 प्रतिशत (पिछले साल 94.31) प्रतिशत रहा। छात्रों का परिणाम 94.52 प्रतिशत (पिछले साल 93.76) और छात्राओं का 96.05 प्रतिशत (पिछले साल 95.18) रहा है।
इस वर्ग में 6 हजार 523 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए। कुल 93.59 (पिछल साल 92) के साथ अनुसूचित जनजाति वर्ग का परिणाम तीसरे पायदान पर रहा है। इस वर्ग में छात्रों का परिणाम 94.20 प्रतिशत (पिछले साल 91.49) और छात्राओं का परिणाम 92.61 प्रतिशत (पिछले साल 92.74 रहा है। अनुसूचित जनजाति वर्ग में इस बार 4 हजार 496 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए।
दसवीं में भी शिखर पर बेटियां, पिछले साल से बढ़ा अजमेर रीजन का परिणाम अजमेर. सीबीसई का दसवीं का नतीजा जारी हो चुका है। अजमेर रीजन का कुल परिणाम 96.93 प्रतिशत (पिछले साल 95.35) रहा। यह पिछले साल से 1.58 प्रतिशत ज्यादा है। इससे पहले 2018 में 91.85 प्रतिशत परिणाम रहा था। जबकि वर्ष 2017 में यह 93.30 प्रतिशत था। बारहवीं की तरह दसवीं में भी टॉप विद्यार्थियों की मेरिट सूची जारी नहीं की गई है।
छात्राएं फिर रही अव्वल
अजमेर रीजन में 1 लाख 13 हजार 897 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इनमें से 1 लाख 13 हजार 672 ने परीक्षा दी। रीजन में छात्राओं का परिणाम 97.88 (पिछले साल 96.99) रहा है। इस साल 44 हजार 208 छात्राएं पास हुई हैं। छात्रों का परिणाम 96.31 प्रतिशत (पिछले साल 94.24) रहा। इस साल 65 हजार 979 छात्र पास हुए हैं। छात्राओं ने लगातार 16 वें साल छात्रों से बाजी मारी। रीजन में छात्राओं का परिणाम छात्रों से 1.57 प्रतिशत ज्यादा रहा है। पिछले साल से 2.07 प्रतिशत ज्यादा रिजल्ट रहने के बावजूद छात्र पीछे ही रहे हैं।
अजमेर रीजन में 1 लाख 13 हजार 897 विद्यार्थी पंजीकृत थे। इनमें से 1 लाख 13 हजार 672 ने परीक्षा दी। रीजन में छात्राओं का परिणाम 97.88 (पिछले साल 96.99) रहा है। इस साल 44 हजार 208 छात्राएं पास हुई हैं। छात्रों का परिणाम 96.31 प्रतिशत (पिछले साल 94.24) रहा। इस साल 65 हजार 979 छात्र पास हुए हैं। छात्राओं ने लगातार 16 वें साल छात्रों से बाजी मारी। रीजन में छात्राओं का परिणाम छात्रों से 1.57 प्रतिशत ज्यादा रहा है। पिछले साल से 2.07 प्रतिशत ज्यादा रिजल्ट रहने के बावजूद छात्र पीछे ही रहे हैं।