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Reality check-अजमेर सेन्ट्रल जेल की सुरक्षा में सेंध

locationअजमेरPublished: Jan 05, 2020 08:52:35 am

Submitted by:

manish Singh

सुरक्षा में कोताही : चारदीवारी तक पहुंचने से नहीं रोकते संतरी

Reality check-अजमेर सेन्ट्रल जेल की सुरक्षा में सेंध

Reality check-अजमेर सेन्ट्रल जेल की सुरक्षा में सेंध

मनीष कुमार सिंह
अजमेर.

अंग्रेजों के जमाने से विख्यात अजमेर सेन्ट्रल जेल की सुरक्षा एकबारगी फिर संदेह के घेरे में आ गई है। कहने को यहां पर ऊंची-ऊंची दीवारों और चैक पोस्ट पर हथियारबंद संतरी तैनात होने के बावजूद चारदीरवारी में यहां कोई भी आ-जा सकता है लेकिन उनको रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। ऐसे में जेल की मुख्य दीवार के पास से कोई भी आपत्तिजनक वस्तु को भीतर फेंका जा सकता है। खास बात तो यह है कि जेल की बाहरी दीवार तो कई जगह से छलनी हो चुकी है जबकि भीतर की दीवार में भी कई जगह सेंधमारी जैसे निशान हैं।
पत्रिका टीम ने रविवार दोपहर अजमेर सेन्ट्रल की सुरक्षा की रियलिटी जांची तो सच्चाई सामने आ गई। सिविल लाइंस थाने के आवासीय क्षेत्र से पत्रिका टीम के दाखिल होने पर चैक पोस्ट पर तैनात संतरी ने देखा लेकिन उसने टोकना मुनासिब नहीं समझा। फिर सिविल लाइंस थाने में जेल की मुख्य दीवार के पास से होते हुए दूसरी चैक पोस्ट पर पहुंचे। यहां चैक पोस्ट पर संतरी तो मौजूद था लेकिन उसका ध्यान नहीं था। पत्रिका रिपोर्टर व फोटोग्राफर आगे बढ़ते चले गए। मुख्य दीवार के पास होते हुए पीछे तक पहुंचे। पीछे की दीवार के बाहरी हिस्से में चैक पोस्ट बनी है। यहां भी आरएसी का हथियारबंद संतरी बैठा नजर आया लेकिन उसने यहां भी पत्रिका टीम को टोकना और रोकना मुनासिब नहीं समझा।
पहुंच गए महिला जेल तक
टीम जेल परिसर में बनी महिला जेल तक पहुंच गई। यहां कोने पर जेल के भीतर चैक पोस्ट बनी थी लेकिन उसमें कोई संतरी नजर नहीं था। आवासीय क्षेत्र में पहुंचने से पहले महिला जेल के सामने की चैक पोस्ट पर संतरी खड़ा नजर आया। उसने पत्रिका टीम से बात की लेकिन उसने कारण नहीं पूछा। कुछ देर बाद फोटोग्राफर के हाथ व बैग में कैमरा नजर आया तो उसने मुख्यद्वार पर सूचना दी। सूचना देने पर मुख्यद्वार पर आरएसी के हैडकांस्टेबल चतरसाल सिंह ने टीम को रोका। तब तक जेलर नरेन्द्र स्वामी भी पहुंच गए। स्वामी से जेल की बाहरी व भीतर की सुरक्षा के संबंध में जानकारी ली गई।
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सिर्फ सुरक्षा की औपचारिकता

पत्रिका टीम सेन्ट्रल जेल की बाहरी व अन्दरूनी दीवार के बीच बने रास्ते पर इत्मीनान से टहलते हुए बाहर निकल कर आ गई। लेकिन बाहरी सुरक्षा में जुटे आरएसी के जवान ने नजर पडऩे के बाद भी अनदेखा कर दिया। अच्छी बात तो यह है कि पीछे की दीवार के सटकर जेल प्रशासन ने झाडिय़ां हटवाकर अब फुटपाथ का निर्माण करवा दिया है। इससे यहां आने वाले की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।
रखे गए कई कुख्यात अपराधी

अजमेर सेन्ट्रल जेल का निर्माण 1884 में ब्रिटिश काल में किया गया था। यहां कुख्यात आतंकियों के अलावा टाडा बंदी, गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह समेत कई कुख्यात अपराधियों को रखा जा चुका है।
मोखम सिंह फांद चुका है जेल की दीवारें

अजमेर सेन्ट्रल जेल में बड़े से बड़े अपराधी रह चुके है लेकिन अब तक जेल की दीवार फांदने का काम ब्यावर के मोखम सिंह के नाम पर है। मोखम सिंह ने अजमेर सेन्ट्रल जेल की दीवार फांद चुका है। ऐसे में दीवार में बने छेद और ठहती दीवारें अब अजमेर सेन्ट्रल जेल के लिए सुरक्षित नहीं है।
दीवार में गड्ढे, तारबंदी टूटी
अव्वल तो जेल की बाहरी दीवार में बड़े-बड़े आरपार गड्ढे हो गए हंै। यहां चाय की थड़ी पर बैठा कोई भी व्यक्ति कभी भी जेल के भीतर दाखिल हो सकता है। इसके अलावा बाहरी दीवार पर लगे कांटे वाले तार अब टूट चुके है। सिर्फ लोहे की एंगल के सिवा कुछ नहीं नहीं आता।
बंदियों के पास मोबाइल बड़ा सवाल

अजमेर सेन्ट्रल जेल में बंदियों तक मोबाइल पहुंचना अब आम हो चुका है। ऐसे में मुख्यद्वार दीवार के पास की चौकसी में ढिलाई कभी भी बड़े खतरे का आमंत्रण साबित हो सकती है। गत वर्ष एसीबी ने जेल में ट्रेप की कार्रवाई कर जेल प्रशासन व बंदियों में हुई सांठगांठ को उजागर किया था।
इनका कहना है…
अजमेर सेन्ट्रल जेल बहुत पुरानी है। सम्भवत: अब तक की दीवार की मरम्मत नहीं हुई है। चैक पोस्ट पर तैनात संतरियों को मुख्य दीवार के आसपास नजर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को टोकना चाहिए। बिना वजह किसी को भी भीतर दाखिल नहीं होने देना चाहिए। मामले में जांच कराकर व्यवस्था को ठीक किया जाएगा।
एन.आर.के.रेड्डी, महानिदेशक (जेल)

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