स्कूल में नहीं प्रिंटर, बाजार में एक सेट पर 20 रुपए खर्च ई कन्टेन्ट के आधार पर प्रत्येक विद्यालय को प्रश्न पत्र के प्रिंट निकालने के लिए लिंक जारी किया गया है। इससे संबंधित स्कूल को ही प्रिंट निकालने को अधिकृत किया है लेकिन अधिकांश स्कूल में प्रिंटर नहीं हैं। बाजार से प्रिंट निकालने पर प्रति छात्र प्रति सेट पर 20 रुपए खर्च हो रहे हैं। ऐसे में 500 के नामांकन वाले स्कूल को करीब 10 हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
स्कूल में प्रश्न पत्र बनाकर ले सकते हैं परीक्षा अब तक प्रथम परख के प्रश्न पत्र संबंधित स्कूल के शिक्षकों की ओर से बनवाकर परीक्षा ली जाती रही है। अब भी यह व्यवस्था हो सकती थी। कक्षा 9 से 12 वीं तक विद्यार्थियों की ऑफलाइन कक्षाएं भी प्रारंभ हो गई हैं। जबकि ई कंटेंट से निकाले प्रपत्र भी स्कूल नहीं आने वाले बच्चों के घर पहुंचाए जा रहे हैं। ऐसे में प्रथम परख की वैधता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसमें पुस्तक देखकर भी छात्र प्रपत्र भर सकता है।
बच्चों की परेशानी पर नहीं ध्यान -कई बच्चों के पास एंड्रॉइड मोबाइल नहीं। -ई-कन्टेन्ट से भी नहीं कर पाए पढ़ाए।
-ऐसे बच्चे प्रथम परख कैसे दे पाएंगे। -ऑफलाइन कक्षा वाले अधिकांश बच्चे नहीं आ रहे स्कूल
-कई जगह पाठ्यक्रम ही पूरा नहीं हुआ।
-ई कन्टेन्ट के प्रपत्र को घर-घर जाकर भरवाने की चुनौती।
-प्रथम परख की वैधता पर सवाल कइयों ने नहीं की ऑनलाइन पढ़ाई कई बच्चे ऐसे हैं जो ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। कइयों के पास मोबाइल नहीं तो कहीं नेटवर्क उपलब्ध नहीं है। ऐसे विद्यार्थी ई-कनेक्ट से उपलब्ध करवाए प्रपत्र कैसे भर पाएंगे।
इनका कहना है केन्द्रीयकृत प्रश्न पत्र (प्रपत्र) में व्यावहारिक कई कठिनाइयां हैं। खर्चीली है, स्कूलों में प्रिंटर नहीं हैं। बाजार में खर्च अधिक है। कई जगह ई-कन्टेन्ट के आधार पर बच्चों ने पढ़ाई नहीं की। कई स्कूल में तय कोर्स के अनुसार पढ़ाई नहीं हुई।
विजय सोनी, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ राधाकृष्णन