अनुसंधान में यह खामियां -सीआई दिनेश कुमावत: प्रकरण में 24 मई से 29 मई तक अनुसंधान किया लेकिन इस दौरान घटनास्थल में प्रयुक्त परिसर के स्वामित्व संबंधित् दस्तावेज नहीं जुटाए ना ही इस संबंध में अनुसंधान किया।
-सीओ मुकेश सोनी : 29 मई से 3 जुलाई तक प्रकरण में अनुसंधान अधिकारी रहे। उन्होंने बिना केस डायरी का अवलोकन व बिना अनुसंधान के प्रकरण के मुख्य आरोपी श्याम सुन्दर मूंदड़ा के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/22 को हटाकर 8/29 लगा दी जबकि अन्य सहआरोपी मोमिन शाह, कालूराम जाट और शेख साजिद के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/22 यथावत रखी गई। पत्रावली पर ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया कि प्रकरण के मुख्य आरोपी का अपराध मात्र दुष्प्रेरण में साबित होता है।
-एसओजी निरीक्षक भूराराम खिलेरी : 30 जुलाई 2021 से प्रकरण का अनुसंधान किया। उन्होंने इस दौरान गोदाम मालिक के बयान लेखबद्ध करने के अलावा उससे अन्य कोई अनुसंधान नहीं किया।
-सीओ मुकेश सोनी : 29 मई से 3 जुलाई तक प्रकरण में अनुसंधान अधिकारी रहे। उन्होंने बिना केस डायरी का अवलोकन व बिना अनुसंधान के प्रकरण के मुख्य आरोपी श्याम सुन्दर मूंदड़ा के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/22 को हटाकर 8/29 लगा दी जबकि अन्य सहआरोपी मोमिन शाह, कालूराम जाट और शेख साजिद के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/22 यथावत रखी गई। पत्रावली पर ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया कि प्रकरण के मुख्य आरोपी का अपराध मात्र दुष्प्रेरण में साबित होता है।
-एसओजी निरीक्षक भूराराम खिलेरी : 30 जुलाई 2021 से प्रकरण का अनुसंधान किया। उन्होंने इस दौरान गोदाम मालिक के बयान लेखबद्ध करने के अलावा उससे अन्य कोई अनुसंधान नहीं किया।
पुलिस की छवि धूमिल
हाईकोर्ट ने सीओ सोनी की भूमिका पर लिखा है कि उन्होंने जिस दिन जांच मिली उसी दिन बिना कोई अनुसंधान किए मुख्य आरोपी श्याम सुन्दर मूंदड़ा के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा बदल दी। इससे समाज में पुलिस की साख को लेकर गलत संदेश जाता है। पुलिस का ध्येय वाक्य है आमजन में विश्वास, अपराधियों में भय। लेकिन कुछ अधिकारियों की कार्य प्रणाली से पुलिस की छवि धूमिल होती है। कोर्ट ने पुलिस की छवि को बनाए रखने के लिए डीजीपी को इस मामले की स्वयं निगरानी के लिए कहा है।
हाईकोर्ट ने सीओ सोनी की भूमिका पर लिखा है कि उन्होंने जिस दिन जांच मिली उसी दिन बिना कोई अनुसंधान किए मुख्य आरोपी श्याम सुन्दर मूंदड़ा के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा बदल दी। इससे समाज में पुलिस की साख को लेकर गलत संदेश जाता है। पुलिस का ध्येय वाक्य है आमजन में विश्वास, अपराधियों में भय। लेकिन कुछ अधिकारियों की कार्य प्रणाली से पुलिस की छवि धूमिल होती है। कोर्ट ने पुलिस की छवि को बनाए रखने के लिए डीजीपी को इस मामले की स्वयं निगरानी के लिए कहा है।
यह है मामला करोड़ों रुपए की नशीली दवा तस्करी के मामले में मुख्य आरोपी श्याम सुन्दर मूंदड़ा सहित कालूराम व अन्य भी आरोपी है। हाईकोर्ट में कालूराम की ओर से जमानत याचिका दायर की गई है। इस पर सुनवाई के दौरान 9 मार्च को हाईकोर्ट ने निर्देश जारी किए। इस पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसओजी अजमेर दिव्या मित्तल की ओर से 22 मार्च 2022 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश की गई। इस जांच रिपोर्ट में प्रकरण में जांच अधिकारी क्लॉक टावर थानाप्रभारी दिनेश कुमावत, वृत अधिकारी दक्षिण मुकेश सोनी व एसओजी निरीक्षक भूराराम खिलेरी की ओर से अनुसंधान में रही विधिक खामियां गिनाई गई।