भागीरथ चौधरी मूलत: मार्बल व्यवसायी रहे हैं। उन्हें लंबे अर्से तक एक निजी फर्म में कामकाज किया। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें किशनगढ़ से टिकट दिया। चौधरी ने किशनगढ़ के तत्कालीन विधायक नाथूराम सिनोदिया को हराकर पहली बार विधानसभा में कदम रखा। लेकिन 2008 में मामला बदल गया। तब हुए विधानसभा चुनाव में सिनोदिया ने उन्हें फिर पटखनी दे डाली। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में चौधरी ने फिर बाजी पलट दी। वे सिनोदिया को दूसरी बार हराकर विधायक बने। 2018 के चुनाव में भाजपा ने उनका किशनगढ़ से टिकट काट दिया। इससे चौधरी और उनके समर्थकों में नाराजगी भी थी। अब होंगे अजमेर के सांसद
2014 में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट ने मौजूदा उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को 1 लाख 84 हजार वोट से हराया था। यह अजमेर संसदीय क्षेत्र की सबसे बड़ी हार थी। लेकिन इस बार भाजपा के भागीरथ चौधरी इस रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। उन्हें 6 लाख 35 हजार 695 से ज्यादा वोट मिले हैं। झुनझुनवाला को 3 लाख 17 हजार 676 वोट मिले हैं। इस लिहाज से चौधरी 3 लाख से ज्यादा वोट लेकर झुनझुनवाला से आगे हैं।एक साल में बदली तस्वीरजाट की 2017 में मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद जनवरी 2018 में अजमेर संसदीय क्षेत्र के लिए उप चुनाव हुए। कांग्रेस की तरफ से डॉ. रघु शर्मा और भाजपा से जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा ने चुनाव लड़ा। डॉ. शर्मा ने 80 हजार से ज्यादा मतों से लांबा को शिकस्त देकर कांग्रेस को विजयी बनाया। उस वक्त प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार के कामकाज को लेकर जनता में काफी नाराजगी रही थी। इसका कांग्रेस को फायदा मिला था।