बॉर्डर पर है गाडिय़ां फ्लोर मिल संचालकों की मानें तो बाजार में गेहूं की कमी नहीं है। उन्हें एफसीआई से डेढ़ सौ रुपए प्रति क्विंटल में सस्ता गेहूं बाजार में मिल रहा है तो फिर वे ये गेहूं क्यों लें। फ्लोर मिल्स संचालकों की मानें तो एफसीआई के गेहूं के लिए प्रशासनिक अनुमति समेत कई समस्याएं झेलनी पड़ेगी।
पिसाई को भी तैयार फ्लोर मिल संचालक सरकारी गेहूं की पिसाई को भी तैयार हंै। उन्होंने जिला प्रशासन ने रियायती दर 2 रुपए प्रति किलो में राशन में बंटने वाला गेहूं उन्हें उपलब्ध करवा दे। वे 300 रुपए प्रति क्विंटल की पिसाई के साथ लौटा देंगे। जिसे प्रशासन राशन की दुकान के जरिए 7 रुपए किलो तक बेचा सकता है।
इनका कहना है…
इनका कहना है…
फ्लोर मिल संचालकों से एफसीआई से गेहूं लेने लिए कहा गया था। रेट को लेकर परेशानी है। प्रयास किए जा रहे हैं। बाजार में आटे की कमी ना आए। अंकित पचार, जिला रसद अधिकारी
पर्याप्त मात्रा में है उपलब्ध बाजार में 2500 क्विंटल के भाव से आटा उपलब्ध करवाया जा रहा है। एफसीआई का गेहूं बाजार दर से 150 से 200 रुपए क्विंटल महंगा है। पिटाई-ढुलाई के बाद रिटेल में उसकी कीमत प्रति क्विंटल 3000 के बाहर पहुंच जाएगी। ऐसे में व्यापारी ये क्यों लेगा।
संजीव गुप्ता, प्रबंधक, लक्ष्मी फ्लोर मिल