वर्ष 2017 में स्वच्छता सर्वेक्षण में ब्यावर की रैंकिंग 285 थी। जो वर्ष 2019 में 331 वें स्थान पर पहुंच गई, जबकि इन तीन साल में नगर परिषद के पास संसाधन भी बढ़े। इसके अलावा नए सफाई कर्मचारियों की भर्ती होने से कर्मचारियों का भी इजाफा हुआ। इसके बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर होने की बजाए पटरी से उतर गई। यहीं कारण रहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण में ब्यावर तीन साल में 285 से लुढक़ कर 331 पायदान पर जा पहुंचा।
शहर की सफाई व्यवस्था को बेहतर करने एवं शहर को सुंदर बनाने के लिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण शुरू किया गया। इसके अलावा सफाई कर्मचारियों की नवीन भर्ती भी हुई। इसके अलावा एक निजी एजेंसी के जरिए भी करीब एक सौ कार्मिक लगाए गए, ताकि समय पर सफाई हो सके। इसके बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था पटरी से उतरती गई। ब्यावर को वर्ष 2017 में 818, 2018 में 1680 एवं 2019 में 1612 अंक मिले। अंकों का निर्धारण के मापदंड तय किए गए। इन मापदंडों के आधार पर सफाई व्यवस्था बेहतर नहीं हो सकी।
हर तरफ अव्यवस्था हावी अजमेर शहर में सफाई व्यवस्था के अलावा हर तरफ अव्यवस्था हावी हो रखी है। मदार गेट, केसरगंज, ऊसरी गेट, वैशाली नगर, शास्त्री नगर, नया बाजार, पुरानी मंडी सहित अन्य इलाकों में गंदगी के ढेर देखे जा सकते हैं। हमेशा ठेले वालों का जमघट लगा रहता है। बेतरतीब पार्किंग के कारण दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। पॉलीथिन का उपयोग धडल्ले से हो रहा है। सरकार के निर्देश के बावजूद नगर निगम प्रशासन ने इस दिशा में कोई उचित कदम नहीं उठाए। शहर के मुख्य नालों की भी समय पर सफाई नहीं हो रही है।
गलियों की संख्या गिनी-चुनी
सुंदर बसावट व खुला-खुला है शहर शहर की बसावट सुंदर तरीके से की गई है। शहर की चौडी-चौडी सडक़ है। शहर में बंद गलियों की संख्या गिनी-चुनी ही हैं। मुख्य बाजार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इससे हमेशा सफाई बनी रहती है। शहर के चारों दरवाजों के अंदर की बसावट के साथ ही आस-पास नवविकसित कॉलोनियों में अव्यवस्था नहीं है। इसकेबावजूद इस सफाई व्यवस्था को सुचारु रखने में स्थानीय प्रशासन नाकाम रहा है। यहीं कारण है कि हर साल स्वच्छता रैकिंग में अजमेर और ब्यावर पिछड़ रहे हैं।
सुंदर बसावट व खुला-खुला है शहर शहर की बसावट सुंदर तरीके से की गई है। शहर की चौडी-चौडी सडक़ है। शहर में बंद गलियों की संख्या गिनी-चुनी ही हैं। मुख्य बाजार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इससे हमेशा सफाई बनी रहती है। शहर के चारों दरवाजों के अंदर की बसावट के साथ ही आस-पास नवविकसित कॉलोनियों में अव्यवस्था नहीं है। इसकेबावजूद इस सफाई व्यवस्था को सुचारु रखने में स्थानीय प्रशासन नाकाम रहा है। यहीं कारण है कि हर साल स्वच्छता रैकिंग में अजमेर और ब्यावर पिछड़ रहे हैं।