34 कार्यों पर 759.59 लाख रुपए खर्च विधायक ने पत्र में बताया है कि वर्ष 2020-21 में करौली और मासलपुर रेंज में वन अधिकारियों द्वारा नरेगा योजना के तहत इको रेस्टोरेशन कार्य कराने का दावा किया है। वन अधिकारियों ने ग्राम पंचायत सौरया, खूबनगर, चैनपुर बर्रिया, महोली, लैदोर कला, कंचनपुर, कोटा छाबर, गुबरेड़ा, जमूरा नारायणा फतेहपुर भावली मासलपुर रतियापुरा सहित अन्य क्षेत्र में करीब 34 कार्यों पर 759.59 लाख रुपए व्यय किया जाना दर्शाया गया है।
फर्जी मस्टररोल भरी गई विधायक का आरोप है कि हकीकत में इको रेस्टोरेशन कार्य हुए ही नहीं है। अधिकारियों ने मिलीभगत से फर्जी मस्टररोल भरकर करीब 5 करोड़ 98 लाख 64 हजार की राशि का भुगतान उठा लिया है। इसके लिए फर्जी तरीके से मनरेगा में मस्टरोल भी जारी की गई हैं। यह फर्जीबाड़ा जांच में साबित हो सकता है। यह भी उल्लेखनीय है कि वन विभाग के नियम के अनुसार जहां 5 वर्ष पहले पौधे स्थापित किए गए हैं, उस क्षेत्र में रेस्टोरेशन कार्य नहीं किया जा सकता। उसकी वजह है कि रेस्टोरेशन कार्य से पेड़-पौधों को नुकसान होता है. जबकि वन अधिकारियों ने गंभीर लापरवाही करते हुए पौधारोपण वाले क्षेत्र में भी रेस्टोरेशन कार्य कराना बताया है।
मस्टररोलों में पंचायतों की हेराफेरी वन विभाग की गंभीर अनियमितता का एक नमूना यह भी बताया है कि मस्टरोल किसी पंचायत की है और कार्य होना किसी दूसरी पंचायत में दर्शाया गया है। इसकी सूची विधायक ने शिकायत के साथ सलंग्न भी की है। विधायक ने बताया कि भंवरपुरा प्रथम व द्वितीय में इको रेस्टोरेशन कार्य बसेड़ी ग्राम पंचायत की मस्टरोल से दर्शाया हुआ है, जबकि भंवरपुरा गांव रामपुर धाबाई ग्राम पंचायत में है। इसी प्रकार मंडी मोहनपुरा में इको रेस्टोरेशन कार्य खोहरी ग्राम पंचायत से दर्शा रखा है, जबकि मंडी मोहनपुरा गांव राहिर ग्राम पंचायत में आता है।
इनका कहना है घपले की जानकारी नहीं है। शिकायत का भी पता नहीं है। जो भी शिकायत सामने आएगी, उसकी तथ्यात्मक जांच कराएंगे। अजय सिंह चित्तौड़ा, उपवन संरक्षक, वन विभाग करौली