बीते साल जुलाई में सियासी संकट के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने राज्य के सभी डीसीसी, ब्लॉक और अन्य इकाइयों को भंग किया था। इनका डेढ़ साल में भी पुनर्गठन नहीं हुआ है। अजमेर में भी कांग्रेसी गहलोत और पायलट गुट में बंटे हुए हैं। राजनीतिक
नियुक्तियों पर असर
सरकार में 35 साल में पहली मर्तबा अजमेर का प्रतिनिधित्व नहीं है। इसका अजमेर की राजनैतिक और डीसीसी नियुक्तियों पर असर पड़ेगा। अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और ट्रस्टियों सहित शहर और देहात कांग्रेस अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों, ब्लॉक अध्यक्ष और अन्य संगठनों में पदाधिकारियों की नियुक्तियां होनी हैं।
सरकार में 35 साल में पहली मर्तबा अजमेर का प्रतिनिधित्व नहीं है। इसका अजमेर की राजनैतिक और डीसीसी नियुक्तियों पर असर पड़ेगा। अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और ट्रस्टियों सहित शहर और देहात कांग्रेस अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों, ब्लॉक अध्यक्ष और अन्य संगठनों में पदाधिकारियों की नियुक्तियां होनी हैं।
कई कांग्रेसियों को आस..
अजमेर के कांग्रेसी नेताओं को संगठनात्मक और राजनैतिक नियुक्तियों की आस है। डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, डॉ. राजकुमार जयपाल सीएम गहलोत के नजदीकी हैं। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष नसीम अख्तर इंसाफ फिलहाल तटस्थ हैं। महेंद्र सिंह गुर्जर, रामनारायण गुर्जर, हेमंत भाटी, विजय जैन, भूपेंद्र राठौड़, हरिसिंह गुर्जर और अन्य कांग्रेसियों की पायलट गुट से नजदीकी है। मंत्रिमंडल गठन में जिस तरह सीएम गहलोत ने ताकत दिखाई है, उसके चलते राजनैतिक और संगठनात्मक नियुक्तियों में उनका वर्चस्व कायम रहने की उम्मीद है।
अजमेर के कांग्रेसी नेताओं को संगठनात्मक और राजनैतिक नियुक्तियों की आस है। डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, डॉ. राजकुमार जयपाल सीएम गहलोत के नजदीकी हैं। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष नसीम अख्तर इंसाफ फिलहाल तटस्थ हैं। महेंद्र सिंह गुर्जर, रामनारायण गुर्जर, हेमंत भाटी, विजय जैन, भूपेंद्र राठौड़, हरिसिंह गुर्जर और अन्य कांग्रेसियों की पायलट गुट से नजदीकी है। मंत्रिमंडल गठन में जिस तरह सीएम गहलोत ने ताकत दिखाई है, उसके चलते राजनैतिक और संगठनात्मक नियुक्तियों में उनका वर्चस्व कायम रहने की उम्मीद है।