scriptमेडिसिन व पिडियाट्रिक ब्लॉक,पार्किग प्रोजेक्ट निर्माण का ठेका ऊंची दरों पर | Contract for construction of Medicinal Pediatric Block, Parking Projec | Patrika News

मेडिसिन व पिडियाट्रिक ब्लॉक,पार्किग प्रोजेक्ट निर्माण का ठेका ऊंची दरों पर

locationअजमेरPublished: Sep 17, 2020 11:02:15 pm

Submitted by:

bhupendra singh

स्मार्ट सिटी की टेंडर कमेटी की गडबड़ी फिर उजागर
आरटीपीपी नियम दरकिनार,लगाई करोड़ों की चपतस्मार्ट सिटी

JLN hospital ajmer

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भूपेन्द्र सिंह

अजमेर.स्मार्ट सिटी smartcity अजमेर में चहेती फर्मो को करोड़ों के काम के ठेके देकर उपकृत करने का काम जारी है। स्मार्ट सिटी की टेंडर अप्रूवल कमेटी फिर एक बार सवालों के घेरे में है। स्मार्ट सिटी ने 36 करोड़ 23 लाख की लागत से जेएलएन अस्पताल के मेडिसिन Medicin Blockब्लॉक निर्माण कार्य का ठेका बेसिक शिड्यूल रेट (बीएसआर) से 4.46 प्रतिशत अधिक दर पर दे दिया गया। इसी तरह 28 करोड़ 9 लाख रुपए का पेडियाट्रिक्स Pediatric Block ब्लॉक और मल्टी लेवल पार्किग निर्माण का ठेका भी 5.26 प्रतिशत अधिक दर पर दे दिया गया है। दोनों ठेके एक ही फर्म को दे दिए गए है। इसके लिए स्मार्ट सिटी की टेंडर अप्रूल कमेटी ने राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता (आरटीपीपी) नियमों को ही दरकिनार कर दिया। फर्मों को केवल समझौता वार्ता (नेगोसिएशन) के लिए दस्तूर के तौर बुलाया गया।
खुद के ही कामों से नहीं की तुलना

स्मार्ट सिटी के तहत जेएलएन अस्पताल के ही मोचर्री ब्लॉक का निर्माण बीएसआर से 17 प्रतिशत और शास्त्री नगर में पशु अस्पताल का निर्माण 21 प्रतिशत की कम दर से करवाया जा रहा है। आरटीपीपी एक्ट के अनुसार नेगोशिएशन (समझौता वार्ता) में अगर ठेकेदार दर अपनी दर कम नहीं करता है तो काउंटर ऑफर दिया जाता है। यदि वह भी तैयार नहीं हो तो उससे अधिक दर वाले को ऑफर देकर निर्णय किया जा सकता था।
प्रचलित बाजार दर को भूले,लगाई चपत

ठेके देने से पूर्व लिए गए आईटम का बाजार दर से आकंलन किया जाता है लेकिन अभियंताओं ने बाजार दर से तुलना किया जाना उचित नहीं समझा। हैरत की बात यह है कि करोड़ों के कामों में भी फर्मों को कमेटी ने काउंटर ऑफर देना भी उचित नहीं समझा गया। हद तो तब हो गई जब पीडब्ल्यूडी के ही विभाग आरएसआरडीसी द्वारा नया सात मंजिला न्यायालय भवन को 80 करोड़ में जो बीएसआर से18 प्रतिशत की कम (बिलो) दर से बनाया जा रहा है। लगभग एक ही प्रकृति के कार्यों को आधार बनाकर ड्राफ्ट रेट एनालाइसिस से दर निकाली जानी थी इससे करोड़ो रुपए बचाए जा सकते थे लेकिन स्मार्ट सिटी की टेंडर अप्रूवल कमेटी ने यह जहमत नहीं उठाई।
ऐसे कर दिया शर्तो में बदलाव

चहेती फर्मों को टेंडर देने के लिए मनमर्जी से ही शर्ते तैयार कर फायदा पहुंचा गया। जहां पहले के टेंडरों की योग्यताओं में 80 प्रतिशत मूल्य का एक कार्य अथवा 60 प्रतिशत मूल्य के दो कार्य अथवा 40 प्रतिशत मूल्य के तीन कार्य एक ही प्रकृति किए हुए होने चाहिए थे। इस शर्त के कारण बहुत सी प्रतियोगी फर्में दौड़ से बाहर हो गईं। लेकिन हाल ही चल रही निविदों में शर्तें में ही बदलाव कर दिया गया है। जिसमें 60 प्रतिशत मूल्य के स्थान पर 50 प्रतिशत मूल्य के दो काम ही कर दिए गए जबकि राजस्थान की अन्य स्मार्ट सिटी यही शर्त अपनाई जा रही है।
जनहित याचिका का नोटिस

राजस्थान पत्रिका द्वारा सिलसिलेवार स्मार्ट सिटी के कार्यों के ठेका देने में हो रहे गड़बडिय़ों, स्वीकृत प्रोजेक्टों की मूलभावना को बदलकर अलग प्रोजेक्ट तैयार करने में जुटे अभियाओं को अब काननू दावपेच भी झेलने पड़ेंगे। पत्रिका की खबरों को आधार बनाकर अधिवक्ता पीयूष नाग ने स्मार्ट सिटी अधिकारियों को कानूनी नोटिस भेजा है। पूर्व पार्षद अशोक मलिक ने इसको लेकर पीआईएल दायर करने की तैयार में हैं। मलिक का कहना है यदि सात दिन में स्मार्ट सिटी ने जवाब नहीं दिया तोपीआईएल दाखिल की जाएगी। हम चाहते हैं कि गाइड लाइन के अनुसार काम हो। कम्पनी एक्ट की पालना की जाए। स्मार्ट सिटी में फुल टाइम पीओ और कम्पनी सेक्रेट्री लगाया जाए। स्मार्ट सिटी की मूलभावना के अनुरूप काम हो।
इनका कहना है

नोटिस के सभी बिन्दुओं का जवाब दिया जाएगा। फर्मों को काउंटर ऑफर दिया गया था। जो होगा उसे फेस करेंगे।

अनिल वियवर्गीय,मुख्यअभियंता,स्मार्ट सिटी अजमेर

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