ये लिंक चलाने के लिए एंड्रायड मोबाइल की आवश्यकता होगी जो ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश बच्चों के पास नहीं है। ऐसे में उन्हें इन लिंक की जानकारी मिल भी जाए तो भी वे चला नहीं पाएंगे।
इस मामले में पत्रिका ने ग्रामीण पृष्ठभूमि के शिक्षकों से बात की तो उनका कहना रहा कि ऑनलाइन कैसे पढ़ा जा सकता है, यह तो हमें ही नहीं आता। हम बच्चों को सूचना भी दें तो वे कैसे इससे पढ़ पाएंगे। हमें इनसे पढ़ाई कराने की जानकारी तक नहीं दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल चलाने के लिए नेटवर्क तक नहीं मिलता है।
पत्रिका पड़ताल पत्रिका रिपोर्टर ने जब इन लिंक को खोलकर इन पर उपलब्ध शैक्षिक सामग्री को देखना चाहा तो द दीक्षा एप का कंटेंट 10 मिनट तक लोड नहीं हो पाया। जब जिला मुख्यालय पर यह हाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों में इन लिंक का प्रयोग करना आसान नहीं होगा।
यह कहते हैं शिक्षा अधिकारी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी अनिल कौशिक ने बताया कि इस बारे में समस्त सीबीईओ, संस्था प्रधान आदि को निर्देश दिए हैं कि वह इस बारे में सभी शिक्षकों को सूचित करें, ताकि वह बच्चों व उनके अभिभावकों को सोशल मीडिया के जरिए ये लिंक उपलब्ध कराएं। साथ ही उनके संपर्क में रहकर लिंक व विषय से संबंधित किसी भी समस्या का समाधान करने में उनकी मदद करें।
इमरान ने बताया- ऐसे पढ़ाएं ऑनलाइन अलवर. इन दिनों ख्याति प्राप्त एप गुरु इमरान खान शिक्षा में तकनीक का प्रयोग करते हुए शिक्षण को रोचक बनाने को लेकर अपने अनुभवों को देश-विदेश के शिक्षाविदें और शिक्षकों के साथ साझा कर रहे हैं। इमरान ने जूम के माध्यम से दिल्ली सरकार में कार्यरत 100 शिक्षकों के साथ विचार साझा किए।
इनमें कई शिक्षक अन्य देशों से भी थे जो इस मुहिम में जुड़े हुए हैं। एप गुरु इमरान ने ना केवल अपने शैक्षिक एप्स और उनके प्रयोग के बारे में विचार साझा किए, बल्कि यह भी बताया कि किस प्रकार तकनीक के माध्यम से शिक्षा को सब तक पहुंचाने का कार्य किया जा सकता है। शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के संयुक्त निदेशक अमरेंद्र प्रसाद बेहरा ने इमरान के इस नवाचार की प्रशंसा की और इसे जारी रखने का सुझाव दिया।