अजमेर

Corona Effect: लॉकडाउन से फायदा, कम हुई डीजल-पेट्रोल की खपत

ना वाहनों का शोर ना कहीं जाम की स्थिति है। एम्बुलैंस, डेयरी और जरूरी सेवाओं वाले वाहनों को छोड़कर 10 लाख से ज्यादा बस-ट्रक, कार-जीप और दोपहिया वाहनों का संचालन बंद है।

अजमेरMay 13, 2021 / 08:25 am

raktim tiwari

fuel consumption reduce in ajmer

रक्तिम तिवारी/अजमेर.
पिछले एक महीने से जारी जनअनुशासन पखवाड़ा-लॉकडाउन से जिले की सड़कों पर वाहन का दबाव नहीं दिख रहा है। ना वाहनों का शोर ना कहीं जाम की स्थिति है। एम्बुलैंस, डेयरी और जरूरी सेवाओं वाले वाहनों को छोड़कर 10 लाख से ज्यादा बस-ट्रक, कार-जीप और दोपहिया वाहनों का संचालन बंद है। इससे डीजल और पेट्रोल खपत घटकर 30 प्रतिशत रह गई है।
शहर सहित जिले में दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया वाहनों की संख्या बढ़कर करीब 14 लाख तक पहुंच चुकी है। अजमेर में मदार गेट, स्टेशन रोड, आगरा गेट, वैशाली नगर-आदर्श नगर, श्रीनगर रोड पर सर्वाधिक यातायात का सर्वाधिक दबाव रहता है।
70 प्रतिशत वाहन नहीं सड़कों पर
14 अप्रेल से जनअनुशासन पखवाड़ा और रेड अलर्ट कफ्र्यू के बाद अब लॉकडाउन लागू किया गया है। इन 27 दिन में सरकारी और आवश्यक कामकाज कर रहे कार्मिकों और अधिकारियों के टू-व्हीलर, तिपहिया और चौपहिया वाहन संचालित हैं। इनके अलावा दूध, सब्जियों, आवश्यक वस्तुओं के सामान ढुलाई वाले वाहन चल रहे हैं। अन्य वाहन घरों में बंद हैं।
70 प्रतिशत तक खपत कम
राज्य और जिले में जन अनुशासन पखवाड़ा और लॉकडाउन से वाहनों का संचालन ज्यादा नहीं हो रहा। पेट्रोल-डीजल की खपत 50 प्रतिशत रह गई है। जबकि आम दिनों में ईंधन की खपत 75 से 80 प्रतिशत तक होती थी। एयर क्वालिटी इंडेक्स 50 से 65 के बीच कायम है। वाहन संचालन बंद होने से कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन 15 से 20 प्रतिशत कम हुआ है।
फैक्ट फाइल (राज्य में सालाना ईंधन खपत)
सालाना डीजल खपत-450 करोड़ लीटर
सालाना पेट्रोल खपत-65 करोड़ लीटर

लॉकडाउन से गाडिय़ों का संचालन नहीं हो रहा। पेट्रोल-डीजल की खपत 30 प्रतिशत तक रह गई है। जबकि आम दिनों में ईंधन की खपत 65 से 70 प्रतिशत तक होती थी।
सुनीत बगई,अध्यक्ष राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन
पिछले साल भी लॉकडाउन के कारण सड़कों पर वाहन का संचालन कम था। इस बार भी राज्य में लॉकडाउन और रेड अलर्ट कफ्र्यू से ईंधन की खपत कम है। यह पर्यावरण के लिहाज से फिलहाल फायदेमंद है। लेकिन यह तात्कालिक व्यवस्था है। स्थितियां सामान्य होने पर फिर प्रदूषण बढ़ जाएगा।
प्रो. प्रवीण माथुर, पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष मदस विश्वविद्यालय
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