scriptCorona impact: सावन में सहस्रधारा और कावडय़ात्रा पर कोरोना का साया | Corona impact: problem for Kawad yatra and Sahastradhara | Patrika News

Corona impact: सावन में सहस्रधारा और कावडय़ात्रा पर कोरोना का साया

locationअजमेरPublished: Jul 03, 2020 08:19:24 am

Submitted by:

raktim tiwari

सामूहिक पूजन-कार्यक्रम मुश्किल हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखने पर संकट बढ़ सकता है।
सावन माह में प्रतिवर्ष शहर के झरनेश्वर, कोटेश्वर महादेव मंदिर, मदार गेट, रामगं

sahastradhara in ajmer

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

इस बार शिवालयों में सहस्रधारा और सड़कों पर गाजे-बाजे से निकलने वाली कावड़ यात्राएं कम दिख सकती हैं। कोरोना महामारी के चलते मंदिर-देवालय बंद हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं की भीड़, सामूहिक पूजन-कार्यक्रम मुश्किल हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखने पर संकट बढ़ सकता है।
सावन माह में प्रतिवर्ष शहर के झरनेश्वर, कोटेश्वर महादेव मंदिर, मदार गेट, रामगंज, केसरगंज,वैशाली नगर, कोटड़ा, आदर्श नगर, बिहारी गंज, नया बाजार, आंतेड़, आगरा गेट और अन्य शिवालयों में सहस्रधारा और पूजन का दौर चला है। शहर के सभी शिवालयों में बिल्व पत्र, पुष्प, हल्दी-चंदन, दूब, दूध और अन्य सामग्री से पूजा-अर्चना होती है। मंत्रोच्चार और रुद्रिपाठ के साथ जलाभिषेक, रुद्राभिषेक होते हैं।
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मंदिर-देवालय हैं बंद
सावन माह की शुरुआत 5 जुलाई को पूर्णिमा है। 6 जुलाई से सावन माह की शुरुआत होगी। देश में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ा रहा है। गांवों में 50 लोगों की आवाजाही वाले कुछ छोटे मंदिर खुले हैं। अजमेर सहित कई शहरों में बड़े मंदिर-देवालय और धर्मस्थल बंद हैं। ऐसे में शिवालयों में श्रद्धालुओं का पहुंचना मुश्किल है।
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लोग ध्यान रखें नियमों का…
-सहस्रधारा, रुद्रीपाठ में एकसाथ नहीं जुटाएं भीड़
-संभव हो तो टालें सामूहिक प्रसादी- भोज जैसे आयोजन
-कावडि़ए ध्यान रखें सोशल डिस्टेंसिंग का
-मंदिरों में बेवजह जाने-भीड़ बढ़ाने से बचें
-सड़कों पर ढोल-ढमाके, गाजे-बाजे पर रोक
-मास्क पहनना/सेनेटाइजर-साबुन से हाथ धोना जरूरी
घरों में भी कर सकते हैं पूजा-पाठ
-बड़े थाल/परात में शिवलिंग विराजमान कर करें
अभिषेक-पत्थर के शिवलिंग ना हो तो शुद्ध मिट्टी का बना सकते हैं शिवलिंग
-घरों में शिवलिंग पर चढ़ाया जा सकती है पूजन सामग्री
-जल, दूध, दही, शहद, गन्ने के रस से किया जा सकता है अभिषेक
-घरों में किया जा सकता है मंत्रोच्चार या रुद्रीपाठ
(जैसा आगरा गेट मंदिर के पुरोहित घनश्याम आचार्य ने बताया)
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