बार कैांसिल ऑफ इंडिया ने एलएलबी कोर्स को बेहतर बनाने, समयानुकूल नई अवधारणाओं को समावेश करने के लिहाज से सभी राज्यों को एलएलबी कोर्स में पांच वर्षीय सेमेस्टर पद्धति लागू करने के निर्देश दिए थे। सभी संस्थाओं और राज्यों को साल 2017-18 तक का समय दिया गया था। लॉ कॉलेज के अलग-अलग विश्वविद्यालयों से सम्बद्धता के चलते राज्य में एलएलबी में पांच वर्षीय सेमेस्टर स्कीम लागू नहीं हो पाई।
अम्बेडकर यूनिवर्सिटी चाहती थी शुरुआत
राज्य के सभी लॉ कॉलेज डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय से जुडऩे हैं। लिहाजा विश्वविद्यालय सत्र 2020-21 से प्रथम वर्ष में वार्षिक प्रणाली के बजाय सेमेस्टर पद्धति शुरु करना चाहती थी। लेकिन कोरोना संक्रमण ने योजना पर ब्रेक लगा दिए। विधि विशेषज्ञों और शिक्षाविदें ने वार्षिक प्रणाली से ही प्रथम वर्ष की परीक्षाएं कराने को कहा है।
राज्य के सभी लॉ कॉलेज डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय से जुडऩे हैं। लिहाजा विश्वविद्यालय सत्र 2020-21 से प्रथम वर्ष में वार्षिक प्रणाली के बजाय सेमेस्टर पद्धति शुरु करना चाहती थी। लेकिन कोरोना संक्रमण ने योजना पर ब्रेक लगा दिए। विधि विशेषज्ञों और शिक्षाविदें ने वार्षिक प्रणाली से ही प्रथम वर्ष की परीक्षाएं कराने को कहा है।
अभी लागू है वार्षिक पेपर स्कीम
राज्य अजमेर, सिरोही, नागौर, अलवर, सीकर, बांसवाड़ा सहित 16 लॉ कॉलेज हैं। सभी कॉलेज में तीन साल का ही एलएलबी कोर्स संचालित है। इनमें भी वार्षिक पेपर स्कीम लागू है। एलएलबी को पांच वर्षीय सेमेस्टर में बांटने और नया पाठ्यक्रम बनाने की पहल नहीं हुई है। उधर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब जैसे कई राज्यों के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर स्कीम लागू है। हालांकि मदस विश्वविद्यालय में विधि संकाय की बोर्ड ऑफ स्टडीज ने सत्र 2020-21 से प्रथम वर्ष में सेमेस्टर पद्धति शुरू करने की मंजूरी दी थी।
राज्य अजमेर, सिरोही, नागौर, अलवर, सीकर, बांसवाड़ा सहित 16 लॉ कॉलेज हैं। सभी कॉलेज में तीन साल का ही एलएलबी कोर्स संचालित है। इनमें भी वार्षिक पेपर स्कीम लागू है। एलएलबी को पांच वर्षीय सेमेस्टर में बांटने और नया पाठ्यक्रम बनाने की पहल नहीं हुई है। उधर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब जैसे कई राज्यों के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर स्कीम लागू है। हालांकि मदस विश्वविद्यालय में विधि संकाय की बोर्ड ऑफ स्टडीज ने सत्र 2020-21 से प्रथम वर्ष में सेमेस्टर पद्धति शुरू करने की मंजूरी दी थी।
एलएलएम भी नहीं एक वर्षीय
बार कौंसिल ऑफ इंडिया और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साल 2014-15 में एलएलएम को एक वर्षीय पाठ्यक्रम बनाने के निर्देश दिए थे। पूरे देश में इसे लागू करना था। केंद्रीय विश्वविद्यालयों, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और कुछ राज्यों में इसे अपना लिया गया। प्रदेश में किसी विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज में एक वर्षीय एलएलएम कोर्स प्रारंभ नहीं हुआ है।
बार कौंसिल ऑफ इंडिया और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साल 2014-15 में एलएलएम को एक वर्षीय पाठ्यक्रम बनाने के निर्देश दिए थे। पूरे देश में इसे लागू करना था। केंद्रीय विश्वविद्यालयों, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और कुछ राज्यों में इसे अपना लिया गया। प्रदेश में किसी विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज में एक वर्षीय एलएलएम कोर्स प्रारंभ नहीं हुआ है।
कॉलेज जुड़ेंगे अम्बेडकर यूनिवर्सिटी से
राज्य के सभी लॉ कॉलेज डॉ. अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय से जुड़ेंगे। जिन कॉलेज को सत्र 2020-21 तक पूर्ववर्ती विश्वविद्यालयों से सम्बद्धता मिली है, उन्हें अम्बेडकर विवि यथावत रखेगा। इन्हें सम्बद्ध विवि मानते हुए पत्र जारी किए जाएंगे। सत्र 2020-21 में एलएलबी प्रथम वर्ष, एलएलएम पार्ट प्रथम, डिप्लोमा इन लेबर लॉ और डिप्लोमा इन क्रिमनोलॉजी की परीक्षाएं अम्बेडकर विश्वविद्यालय कराएगा।
राज्य के सभी लॉ कॉलेज डॉ. अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय से जुड़ेंगे। जिन कॉलेज को सत्र 2020-21 तक पूर्ववर्ती विश्वविद्यालयों से सम्बद्धता मिली है, उन्हें अम्बेडकर विवि यथावत रखेगा। इन्हें सम्बद्ध विवि मानते हुए पत्र जारी किए जाएंगे। सत्र 2020-21 में एलएलबी प्रथम वर्ष, एलएलएम पार्ट प्रथम, डिप्लोमा इन लेबर लॉ और डिप्लोमा इन क्रिमनोलॉजी की परीक्षाएं अम्बेडकर विश्वविद्यालय कराएगा।