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हाईटेक बायो सेफ्टी लैब में ही मिलेगा ‘कोरोना किलर’

locationअजमेरPublished: Mar 31, 2020 07:03:28 pm

Submitted by:

mukesh gour

कोरोना पर शोध : देश के केंद्रीय और राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों में नहीं है ऐसे लैब

हाईटेक बायो सेफ्टी लैब में ही मिलेगा 'कोरोना किलर'

हाईटेक बायो सेफ्टी लैब में ही मिलेगा ‘कोरोना किलर’

अजमेर. कोरोना वायरस से बचाव के लिए दुनिया भर में वैज्ञानिक, चिकित्सक और बायो तकनीशियन कोरोना वायरस की दवा अथवा टीका बनाने में जुटे हैं। नियमानुसार हाइटेक बायो सेफ्टी लैब (तृतीय लेवल) में ही घातक वायरस-बैक्टीरिया पर अनुसंधान संभव है। देश में भारतीय वायरोलॉजी संस्थान पुणे को छोड़कर किसी केंद्रीय और राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय में यह लैब नहीं है। अगर ऐसे लैब विकसित किए जाएं तो भविष्य में काफी फायदा हो सकता है। हांलांकि, पुणे स्थित भारतीय वायरोलॉजी संस्थान और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद भी प्रयासरत है। देश में 800 राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी, 47 केंद्रीय विवि और करीब 55 हजार कॉलेज हैं। इक्का-दुक्का संस्थानों को छोड़ककर अधिकांश केंद्रीय/राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों में बायो सेफ्टी लैब (तृतीय लेवल) नहीं है। कुछ संस्थानों में प्रथम और द्वितीय लेवल के बायो सेफ्टी लैब हैं। लेकिन उनमें एडवांस रिसर्च सुविधाओं का अभाव है।
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ऐसी होती हैं हाइटेक बायो सेफ्टी लैब
बायो सेफ्टी लैब (तृतीय लेवल) में होते हैं डबल डोर
बाहर और अंदर की हवा का आपस में नहीं होता संपर्क
स्पेशल बायो केबिनेट में ही शोध
प्रमुख अनुसंधानकर्ता और वैज्ञानिक सुरक्षा अधिकारी जरूरी
खुले में नहीं किया जाता बायो वेस्ट का निस्तारण
ऑटोक्लेव और आंखें धोने के लिए स्पेशल दवा
प्रयोगशाला में पहनने के खास कपड़े, फेस मास्क और दस्ताने
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ये हैं देश के कुछ हीरो…
पुणे की मीनल दक्षा भोंसले ने तैयार किया फस्र्ट टेस्टिंग किट, यह कोरोना जांच में उपयोगी
आईआईटी दिल्ली के प्रो. सम्राट मुखोपाध्याय और टीम ने बैक्टीरिया मारने वाला विशेष कपड़ा बनाया
आईआईटी खडग़पुर के छात्रों ने डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ के लिए पारदर्शी फेस शील्ड बनाई
आईआईटी मुंबई के छात्रों के क्वारंटाइन एप से संक्रमित रोगियों की पहचान और ट्रेकिंग में आसानी वाला ऐप बनाया। 
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देश के चुनींदा संस्थानों में ही ऐसी लैब हैं। अगर ऐसी लैब बनाई जाएं तो कोरोना या किसी भी वायरस पर रिसर्च और टीका-दवा बनाने में मदद मिल सकती है।
डॉ. तरुण भट्ट, सह आचार्य बायो टेेक्नोलॉजी विभाग, राजस्थान केंद्रीय विवि
बायो सेफ्टी लैब स्थापना के मामदंड उच्च स्तरीय होते हैं। इसे पूरा करना और लैब होने पर वायरस पर रिसर्च हो सकती है।
प्रो. आशीष भटनागर, माइक्रोबायलॉजी विभागाध्यक्ष मदस विवि

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