अलवर के खेतों में गेहूं, जो और चना की फसल पक कर तैयार हो चुकी है। कोरोना के लॉक डाउन के कारण लोग घरों में कैद हैं। किसान अपने खेतों पर नहीं जा पा रहे हैं और ना ही उन्हें लावणी के लिए मजदूर मिल रहे हैं।
ऐसे में खेत में पककर तैयार खड़ी फसल कटाई के इंतजार में खराब हो रही है। जिसकी किसानों को दिन-रात चिंता सता रही है। अब सरकार ने फसल कटाई के लिए कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीनों की इजाजत दी है।
इससे बड़े किसानों को तो अपनी फसल बर्बाद होने से बचने की उम्मीद बंधी है, लेकिन छोटे खेत वाले किसान अब भी परेशान हैं। क्योंकि वे खेत में स्वयं के परिवार के सदस्यों या फिर मजदूरों के माध्यम से फसल कटाई कराते हैं। पंजाब व हरियाणा से आने वाली कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन से फसल कटाई कराना उनके लिए महंगा सौदा है।
आखिर कैसे लें परमिशन? ज्यादातर किसान ऐसे हैं जिनके घर और खेतों के बीच कई किलोमीटर का फासला है। लॉक डाउन में पुलिस की सख्ती के डर से किसान खेतों पर नहीं जा पा रहे हैं। पुलिस ने परमिशन के लिए थाने में जाने से भी डर रहे हैं तथा पुलिस परमिशन की ऑनलाइन प्रक्रिया अशिक्षित किसानों के लिए बड़ी परेशानी साबित हो रही है।
अलवर में छोटे किसान ज्यादा अलवर जिले में कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन से वे किसान ही फसल कटाई कराते हैं जिनके पास काफी बड़े-बड़े खेत हैं। अलवर में ज्यादातर छोटे किसान हैं। जिनके पास छोटे-छोटे खेत हैं। इन छोटे खेतों में कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन से कटाई नहीं हो पाती है।
क्योंकि ये काफी बड़ी मशीन होती है और इसे खेत में खड़ा करने के लिए काफी जगह आवश्यकता होती है तथा छोटे किसानों को इस मशीन से कटाई कराना काफी महंगा पड़ता है। एक साथ करनी होती है कटाई
किसानों के अनुसार खेत में गेहूं, जौ और चना की फसल तैयार है। फसल की एक साथ कटाई करनी होती है। इसके लिए 10-12 लोग लावणी में लगते हैं। यदि जल्द ही फसल की कटाई नहीं की गई तो फसल से दाना झड़कऱ खेत में गिर जाएगा और फसल खराब हो जाएगी।
ये है परेशानी, किसानों की जुबानी मालाखेड़ा क्षेत्र के माधोगढ़ गांव के किसान रमेशचंद्र, अमीलाल, बनवारी, किशोर और लेखराज का कहना है कि उनकी फसल पक चुकी है। फसल कटाई के लिए मजदूरों को लाने में दिक्कत हो रही है।
वैसे फसल की लावणी के समय गांवों में रिश्तेदार एक-दूसरे की मदद के लिए आ जाते है, लेकिन लॉक डाउन की वजह से इस बार सगे सम्बन्धी भी मदद को नहीं आ पा रहे हैं। काम धंधे के समय किसान घर में बैठने को मजबूर है तथा कटाई नहीं होने से फसल बर्बाद हो रही है।