प्रदेश के आंगनाबाड़ी केन्द्रों पर आने वाले बच्चों को गर्म पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही गर्भवती महिला, धात्री महिला और 11 से 14 साल के बीच की स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों को पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के चलते आंगनबाड़ी केन्द्र बंद है। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका लाभार्थियों को टेक होम राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय ने कोरोना संक्रमण के चलते लाभार्थियों को सर्वथा स्वच्छ व वायरस मुक्त पोषाहार की समुचित आपूर्ति हो इसके चलते साबूत सामग्री उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। इसके तहत माह में एक बार इसे वितरित किया जाएगा और यह व्यवस्था आगामी तीन माह तक जारी रहेगी। कच्ची सामग्री का भुगतान सरकार की ओर से निर्धारित दर पर प्रति लाभार्थी और प्रति दिवस के रूप में किया जाएगा। उक्त खाद्य सामग्री का वितरण स्वयं सहायता समूह के स्थान पर आपूर्ति की व्यवस्था का दायित्व व अधिकार ‘आंगनबाड़ी मातृ बाल विकास समिति’ का होगा। यह व्यवस्था अप्रेल के दूसरे सप्ताह से प्रारंभ होगी।
समिति में यह होंगे शामिल आंगनबाड़ी मातृ बाल विकास समिति में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, सहयोगिनी सहित 13 गर्भवती व धात्री महिलाओं को शामिल किया जाएगा। इससे पादर्शिता भी बनी रहेगी। पोषाहार सामग्री 25 दिन प्रति लाभार्थी
– गर्भवती, धात्री महिलाएं व किशोरियों को 3000 ग्राम, 6 माह से 6 वर्ष तक बच्चों को 2000 ग्राम एवं अति कम वजन वाले बच्चों को 3000 ग्राम गेहूं या दलिया दिया जाना है। इसी प्रकार चना, मूंग, मोठ या मसूर दाल 1000-1000 ग्राम और अति कम वजन वाले बच्चों को 2000 ग्राम दी जाएगी।
फैक्ट फाइल
62 हजार आंगनबाड़ी केन्द्र प्रदेश में 10 लाख से अधिक बच्चे आते है केन्द्र पर
35 लाख कुल लाभार्थी (बच्चे, गर्भवती, धात्री महिला, किशोरी एवं कम वजन वाले बच्चे ) इनका कहना है…
कोरोना संक्रमण के चलते लाभार्थियों को सर्वथा स्वच्छ व वायरस मुक्त पोषाहार उपलब्ध कराने के लिए साबुत सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए आंगनबाड़ी मातृ बाल विकास समिति का पुनर्गठन किया जाएगा। इससे मिलावट की संभावना भी नहीं रहेगी।
– के. के. पाठक, सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग जयपुर