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जिस मामले में डीजीपी तलब हुए, उसी में कोर्ट ने फिर खारिज की एफआर

locationअजमेरPublished: Jul 20, 2020 11:46:12 pm

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Amit

नई आईओ बडगुर्जर पर भी की टिप्पणीकोर्ट ने कहा-निष्पक्ष एवं तथ्यपरक अनुसंधान नहीं

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सवाईमाधोपुर. नाबालिग से छेड़छाड़ के मामले में पोक्सो कोर्ट pocso court के न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने पुलिस के पुन: अनुसंधान पर फिर असंतोष जाहिर किया है। अदालत ने पुलिस के अंतिम प्रतिवेदन (एफआर) को खारिज कर दिया। साथ ही पुलिस महानिदेशक को इस प्रकरण का अनुसंधान किसी अन्य अधिकारी से पुन: करवाकर नए सिरे से कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने इस प्रकरण की मौजूदा अनुसंधान अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरिता बडगुर्जर पर भी गंभीर टिप्पणी की है। इस मामले में इससे पहले भी अदालत अनुसंधान से असंतुष्ट होकर पुलिस महानिदेशक तक को तलब कर चुकी है। तत्कालीन पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग को अदालत ने 15 जुलाई 2019 को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पर्यवेक्षण में अनुसंधान के निर्देश दिए थे। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीआईडी (सीबी) CID-CB जयपुर सरिता बडगुर्जर ने पुन: अनुसंधान करके कोर्ट में अंतिम प्रतिवेदन पेश किया था।
यह है मामला
दर्ज रिपोर्ट के अनुसार 11 सितम्बर 2018 को जिले के ग्रामीण क्षेत्र में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ की गई। कोर्ट ने जब केस डायरी का अवलोकन किया तो माना कि वारदात की रिपोर्ट दर्ज करने में पुलिस ने देरी की। साथ ही अनुसंधान में निष्पक्षता नहीं बरती। वहीं मामले को झूठा मानकर एफआर प्रस्तुत करने में भी अप्रत्याशित शीघ्रता दिखाई। कोर्ट ने 7 फरवरी 19 को एफआर को अस्वीकार कर इसका अनुसंधान अपराध शाखा से नए सिरे से कराने के आदेश दिए। साथ ही पुलिस अधीक्षक SP और संबंधित थानाधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए। मामला पुलिस महानिदेशक DGP को भेजा गया। इस मामले में कोर्ट ने 19 मार्च को फिर सुनवाई की, लेकिन कोर्ट ने पूर्व में जो आदेश दिए थे उनकी पालना नहीं की गई। ना तो जांच अपराध शाखा को सौंपी ना जांच में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इस पर सकारात्मक जवाब नहीं दिए जाने पर कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए तत्कालीन पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग, पुलिस अधीक्षक S. P. समीर कुमार सिंह, पुलिस उपाधीक्षक एससी-एसटी सेल सुनील प्रसाद शर्मा को पोक्सो कोर्ट सवाईमाधोपुर में 23 अप्रेल 2019 को तलब किया था। साथ ही फिर से जांच के आदेश दिए थे।
कोर्ट ने की टिप्पणी
1. अनुसंधान रिपोर्ट Investigation Report के अध्ययन के बाद न्यायालय Court ने स्पष्ट कहा कि अनुसंधान अधिकारी ने पुलिस महानिदेशक द्वारा महसूस की गई मामले की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए बहुत ही हल्के तरीके एवं सरसरी तौर पर आगामी अनुसंधान पूर्ण किया।
2. कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट Investigation Report का निष्कर्ष प्रथम दृष्टया दर्शाता है कि अनुसंधान अधिकारी IO ने तत्कालीन कोतवाली थानाधिकारी सवाईमाधोपुर को विभागीय कार्रवाई के दंड से बचाने की मानसिकता के साथ निष्कर्ष अभिलिखित किया है।
3. कोर्ट ने कहा कि अनुसंधान अधिकारी ने उपरोक्त मानसिकता के साथ पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर निष्पक्ष एवं तथ्यपरक अनुसंधान नहीं किया। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के सुपरविजन का भी अनुसंधान में कोई प्रभाव नजर नहीं आता।
4. न्यायालय के 7 फरवरी 2019 में दिए गए निर्देशों की पालना में किया गया आगामी अनुसंधान पूर्ण होना नहीं माना जा सकता। अत: दूसरी बार प्रस्तुत अनुसंधान रिपोर्ट अस्वीकार की जाती है।
5. कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी सरिता बडगुर्जर के विरुद्ध समुचित कानूनी कार्रवाई के लिए बाद में विचार किया जाएगा। इससे पहले नए सिरे से अनुसंधान की रिपोर्ट एवं पुलिस महानिदेशक द्वारा अनुसंधान अधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का अध्ययन किया जाएगा।

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