scriptस्मार्ट सिटी : आखों में ‘डस्टÓ झोंक पूरे कर रहे प्रोजेक्ट | Crusher dust replacing gravel, does not come strong in construction | Patrika News

स्मार्ट सिटी : आखों में ‘डस्टÓ झोंक पूरे कर रहे प्रोजेक्ट

locationअजमेरPublished: Oct 25, 2020 09:49:22 pm

Submitted by:

bhupendra singh

स्मार्ट सिटी : आखों में ‘डस्टÓ झोंक पूरे कर रहे प्रोजेक्ट
सीमेंट और सरिया लगाने में भी हो रहा ‘खेलÓबजरी के बदले लगा रहे क्रेशर डस्ट, निर्माण में नहीं आती मजबूती
नहीं हो रही मौके पर जांच, करोड़ों के प्रोजेक्टों में फर्जीवाड़ा
स्मार्ट सिटी

भूपेन्द्र सिंह

अजमेर. शहर में स्मार्ट सिटी smart city news के तहत हो रहे करोड़ों रुपए के कार्यों में पहले टेंडर तैयार करने में ही फर्जीवाड़ा सामने आ रहा था अब प्रोजेक्ट को धरातल पर बनाने में भी यही खेल नजर आने लगा है। अभियंताओं की शह पर ठेकेदार फर्म दिनहाड़ आखों में ‘डस्टÓ झोंक रहीं है। प्रोजेक्ट तैयार करवाने में असली खेल सीमेंट, सरिया और क्रेशर डस्ट Crusher dust उपयोग के जरिए खेला जा रहा है। स्मार्ट सिटी के अभियंता प्रत्येक सप्ताह स्मार्ट सिटी के सीईओ को प्रोजेक्ट का निरीक्षण करवा रहे हैं लेकिन उनको भी असलियत से रू-ब-रू नहीं करवाया गया। जबकि कार्य में दोयम दर्जे का सस्ता सीमेंट और सरिया इस्तेमाल में लिया जा रहा है।
अप्रूव्ड नहीं है क्रेशर डस्ट

स्मार्ट सिटी के काम में क्रेशर डस्ट अप्रूव्ड ही नहीं है। इसके बावजूद ठेकेदारों पर मेहरबानी की जा रही है। अभियंता बजरी के स्थान पर क्रेशर डस्ट लगवाकर घटिया काम करवा रहे हैं। बजरी gravelमंहगी और क्रेशर डस्ट सस्ती आती है। ऐसे में डस्ट के साथ कितनी सीमेंट लगाई जा रही है, इसका भी पता नही चलता। ठेकेदारों को फ ायदा पहुंचाने के लिए कार्यों के स्पेसिफि केशन भी दरकिनार कर दिए गए हैं।
कलक्टर ने फटकारा तो रातों रात बदली सीमेंट
स्मार्ट सिटी के अभियंता और ठेकेदारों की मनमर्जी का खेल लगातार चल रहा है। लाखों रुपए की चपत तो केवल सीमेंट में ही लगा दी गई है। अभियंताओं को आरयूआईडीपी के स्पेसिफि केशन के हिसाब से ओपीसी (ऑडिनरी पोर्टेबल) सीमेंट काम में लेना था उसके स्थान पर पीपीसी (पोर्टलैंड पोजोलाना) सीमेंट काम में लिया जा रहा है। पीपीसी सीमेंट सस्ती होती है और ओपीसी के मुकबले इसमें मजबूती कम होती है। पीपीसी में 35 प्रतिशत तक फ्लाईएश (राख) मिली होती है।
मामला जब जिला कलक्टर एवं स्मार्ट सिटी सीईओ प्रकाश राजपुरोहित के संज्ञान में आया तो उन्होंने अभियंताओं को नियम कायदों से कार्य करवाने निर्देश दिए। इस पर रातों रात सभी साइटों पर पीपीसी सीमेंट हटावाते हुए ओपीसी सीमेंट के कट्टे रखवा दिए गए हैं। लेकिन पीपीसी सीमेंट लगाकर जो घटिया काम करवाया गया उसके लिए जिम्मेदारी किसी की तय नहीं की गई है। अभियंता अन्य विभागों के अन्य कामों का हवाले देते हुए अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। अप्रूव्ड कम्पनी का असली सरिया लगाने के बजाय रिसाइकिल लोहे से बना बिना अप्रूव्ड सस्ता सरिया लगाया जा रहा है।
43 करोड़ का स्पोर्टस कॉम्पलेक्स

आजाद पार्क में बनाए जा रहे 43.16 करोड़ के स्पोर्टस कॉम्पलेक्स के लिए तैयार किए जा रहे बेस में बजरी की जगह क्रेशर डस्ट लगवा कर घटिया काम कराया जा रहा है। इतना ही नहीं पीसीसी प्लेन सीमेंट कंक्रीट से पहले खरंजा जो कि 6 इंच या 8 इंच के पत्थरों को अच्छी तरह जमाते हुए लगाया जाना था, उसके स्थान पर आजाद पार्क के पुराने स्ट्रक्चर से तोड़े गए पत्थरों को जो डेढ़ फ ीट 2 फ ीट तक भी बड़े हैं उल्टे सीधे पटक कर और उसी पर पीसीसी की जा रही है।
कागजी सैम्पल हो रहे पास

नियमानुसार एक करोड़ से ऊपर के प्रोजेक्ट पर ठेकेदार को साइट पर ही लैब लगाई जानी है लेकिन ठेकेदार ऐसा नहीं करके प्राइवेट लैब का सर्टिफि केट दे देते हैं। इससे कागजी टेस्ट के सैंपल पास हो रहे हैं।
इनका कहना है

एमसेंड अप्रूव्ड है। जब बजरी नहीं मिलती तब लगाते हैं। अब सब जगह बजरी ही लग रही है। क्रेशर डस्ट कहां लग रही है, इसकी मुझे जानकारी नहीं। आजाद पार्क के मामले की जांच करवाता हूं।
-अशोक रंगनानी, एक्सईएन स्मार्ट सिटी

क्रेशर डस्ट अपू्रव्ड नहीं है। ग्रेडेशन में बैठती है तो यूज कर सकते हैं। हर चीज को अप्रूव्ड करने की जरूरत नहीं है। ठेकदार कहीं से भी टेस्ट करवा सकता है।
-अविनाश शर्मा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, स्मार्ट सिटी

पता करके बताता हूं, क्या अप्रूव्ड है।

-अनिल विजयवर्गीय, मुख्य अभियंता, स्मार्ट सिटी

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