9 हजार गंवा कर बचाए एक लाख
केस-1 रामनगर मोती विहार निवासी राकेश शर्मा ने गूगल से कस्टमर केयर के दूरभाष नम्बर सर्च किया तो उसे बोगस कस्टमर से 21 जनवरी रात को कॉल आया। कॉलर ने उसे बातों में उलझा कर एनी डेस्क एप डाउन लोड कराया। फिर एप से उसका मोबाइल फोन को कन्ट्रोल में लेकर आईसीआईसीआई बैंक खाते से 9 हजार रुपए ऑनलाइन केश विड्रोल कर लिया।
ऋण लिया फिर रकम ट्रांसफर
केस-1 रामनगर मोती विहार निवासी राकेश शर्मा ने गूगल से कस्टमर केयर के दूरभाष नम्बर सर्च किया तो उसे बोगस कस्टमर से 21 जनवरी रात को कॉल आया। कॉलर ने उसे बातों में उलझा कर एनी डेस्क एप डाउन लोड कराया। फिर एप से उसका मोबाइल फोन को कन्ट्रोल में लेकर आईसीआईसीआई बैंक खाते से 9 हजार रुपए ऑनलाइन केश विड्रोल कर लिया।
ऋण लिया फिर रकम ट्रांसफर
शर्मा ने साइबर सेल में बताया कि मामला 9 हजार रुपए पर ही खत्म नहीं हुआ। आरोपी ने एनी डेस्क का इस्तेमाल कर बैंक खाते में आए पर्सनल लोन ऑफर को भी ले लिया। ऑफर एक्सेप्ट करते ही उसके खाते में तीन लाख की रकम आ गई। ठग ने तीन लाख में से 99 हजार 999 रुपए की रकम को ट्रू एप के जरिए ट्रांसफर कर ली। रकम शातिर ठग के खाते में पहुंचती उससे पहले उसने शिकायत बैंक और साइबर सेल में शिकायत कर दी।
...ब्लॉक किया ट्रांसफर
साइबर सेल के हैडकांस्टेबल रणवीरसिंह व सिपाही अजीत सिंह ने तत्परता दिखाते हुए प्रकरण की पड़ताल की। ट्रू बेलेंस एप की मदद ली तो उसके खाते में मौजूद रकम का पता चला। वे तुरन्त खाते से ट्रांसफर की जाने वाली रकम को ब्लॉक कराने में कामयाब रहे।
साइबर सेल के हैडकांस्टेबल रणवीरसिंह व सिपाही अजीत सिंह ने तत्परता दिखाते हुए प्रकरण की पड़ताल की। ट्रू बेलेंस एप की मदद ली तो उसके खाते में मौजूद रकम का पता चला। वे तुरन्त खाते से ट्रांसफर की जाने वाली रकम को ब्लॉक कराने में कामयाब रहे।

महीने में दूसरा मामला है जब ग्राहक की समय पर सूचना पर साइबर सेल ने ट्रांसफर होती रकम को बैंक की मदद से रोका गया। अनिता होतचंदानी के साथ ऑनलाइन ठगी की वारदात पेश आई। ठग होतचंदानी के बैंक खाते से भी एक लाख 98 हजार रुपए ट्रांसफर करने में कामयाब रहा लेकिन अनिता ने खाते में लगाई गई सेंध का पता चलते ही उसने साइबर सेल व बैंक को शिकायत दी। साइबर सेल एक लाख 54 हजार रुपए का ट्रांजेक्शन ब्लॉक करवा दिया।
पत्रिका अलर्ट-क्या करें और क्या ना करें -किसी भी बैंक या साइट का कस्टमर केयर गूगल से ना ले। किसी भी एप का कस्टमर केयर नम्बर गूगल पर नहीं होता है।
-गूगल से उठाए नम्बर पर अधिकांश मामले में कस्टमर फिशिंग का शिकार बनते हैं।
-गूगल से उठाए नम्बर पर अधिकांश मामले में कस्टमर फिशिंग का शिकार बनते हैं।
-कम्पनी, बैंक या ऑनलाइन शॉपिंग एप के कस्टमर केयर उसका मैसेज बॉक्स पर मौजूद है। मैसेज बॉक्स में मैसेज या कॉल रिक्वेस्ट डालकर भी समस्या का समाधान कर सकते हैं।
-अधिकृत एप या ऑनलाइन साइट के मैसेज बॉक्स में मैसेज डालने पर कॉल आएगा। कस्टमर केयर भी उपभोक्ता की तस्दीक के बाद समाधान करता है।
-अधिकृत एप या ऑनलाइन साइट के मैसेज बॉक्स में मैसेज डालने पर कॉल आएगा। कस्टमर केयर भी उपभोक्ता की तस्दीक के बाद समाधान करता है।

एक्सपर्ट व्यू
गूगल से कस्टमर केयर का नम्बर कभी ना उठाए। कम से कम ऑनलाइन बैकिंग से जुड़े लोगों को एनी डेस्क एप के इस्तेमाल से बचना चाहिए। ठगी का शिकार होने पर तुरन्त अपने बैंक, पुलिस और साइबर सेल को सूचित करे। ताकि समय रहते ऑनलाइन बैंकिंग से ट्रांसफर होने वाली रकम को रोका जा सके। छोटी-छोटी जानकारी से बड़ी परेशानियों से बचा जा सकता है।
गूगल से कस्टमर केयर का नम्बर कभी ना उठाए। कम से कम ऑनलाइन बैकिंग से जुड़े लोगों को एनी डेस्क एप के इस्तेमाल से बचना चाहिए। ठगी का शिकार होने पर तुरन्त अपने बैंक, पुलिस और साइबर सेल को सूचित करे। ताकि समय रहते ऑनलाइन बैंकिंग से ट्रांसफर होने वाली रकम को रोका जा सके। छोटी-छोटी जानकारी से बड़ी परेशानियों से बचा जा सकता है।
रणवीर सिंह, हैडकांस्टेबल, साइबर सेल