सर्दी जाते ही अजमेर में दिखेगा ये बड़ा नुकसान, इनके जीवन पर मंडराया खतरा
नवम्बर से मौजूदा फरवरी तक सर्दी में कुछ पौधे चल गए, लेकिन कईयों पर अभी खतरा मंडराया हुआ है।

रक्तिम तिवारी/अजमेर।
सर्दी बीतते हुए वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधों पर खतरा मंडराएगा। वन विभाग ने पिछले साल मानसून के दौरान पौधे तो लगवा दिए लेकिन पर्याप्त बरसात नहीं हो सकी। सितम्बर-अक्टूबर में गुलाबी ठंडक भी नदारद रही। अब सर्दी की विदाई में महज एक महीना बचा है। गर्मियां शुरू होते ही पौधों को नुकसान पहुंच सकता है।
वन विभाग प्रतिवर्ष मानसून (जुलाई, अगस्त और सितम्बर) के दौरान अजमेर सहित किशनगढ़, ब्यावर, केकड़ी, पुष्कर, किशनगढ़ और अन्य वन क्षेत्रों में पौधरोपण कराता है। इनमें नीम, गुड़हल, बोगन वेलिया, अशोक, करंज और अन्य प्रजातियां शामिल हैं। यह पौधे अजमेर, ब्यावर, खरवा, पुष्कर और अन्य नर्सरी में पौधे तैयार कराए जाते हैं। इसके बाद वन क्षेत्रों में इन्हें लगाया जाता है।
पिछले साल लगवाए पौधे
विभाग ने पिछले साल मानसून के दौरान स्वयं सेवी संस्थाओं, स्कूल, कॉलेज, स्काउट-गाइड, राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों की सहायता से जिले में पौधरोपण कराया। बरसात होने तक तो पौधों को पानी मिल गया। लेकिन सितम्बर में ही मानसून ने सुस्ती ओढ़ ली। जिन पौधों ने जड़े नहीं पकड़ी वे नष्ट हो गए। नवम्बर से मौजूदा फरवरी तक सर्दी में कुछ पौधे चल गए, लेकिन कईयों पर अभी खतरा मंडराया हुआ है।
नहीं चलते 50 प्रतिशत पौधे
पर्याप्त बरसात और तेज गर्मी से हर साल 40 से 50 प्रतिशत पौधे पानी के अभाव में दम तोड़ देते हैं। बीते साल पूरे सितम्बर और अब अक्टूबर में मई-जून सी गर्मी पड़ी। तापमान 36 से 39 डिग्री के बीच घूमता रहा। इस साल मार्च अंत तक शीत ऋतु खत्म होने की कगार पर होगी। गर्मी में पौधों को बचाए रखना विभाग के लिए चुनौती है। मालूम हो कि वर्ष 2015 में तो विभाग को कम बरसात के चलते पौधरोपण रोकना पड़ा था।
वरना हरा-भरा होता अजमेर
वन विभाग और सरकार बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 30 से 40 लाख पौधे लगाए गए। पानी की कमी और सार-संभाल के अभाव में करीब 20 लाख पौधे तो सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।
बीते छह साल में औसत बरसात
(1 जून से 30 सितम्बर)
2012-520.2
2013-540
2014-545.8
2015-381.44
2016-512.07
2017-450
अब पाइए अपने शहर ( Ajmer News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज