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अजमेर सेंट्रल जेल में चल रहा था खतरनाक खेल, बंदियों ने किया जबरदस्त खुलासा

locationअजमेरPublished: Nov 21, 2017 08:36:10 am

Submitted by:

manish Singh

दोषी पाए जाने के बाद भी जेल अधीक्षक यादव पर कार्रवाई नहीं होने पर बंदियों के परिजन ने मोर्चा खोल दिया है।

Extortion in jail-ACB probe reached Abhay Command Center

prisoner grievance in ajmer central jail

मनीष कुमार सिंह/अजमेर। सेंट्रल जेल अजमेर में बंदियों से मारपीट व सुविधा शुल्क वसूली प्रकरण में बड़ा खुलासा हुआ है। प्रकरण की विभागीय जांच में उप महानिरीक्षक (जेल) यू.एल. छानवाल ने जेल अधीक्षक संजय यादव को नियमों की अनदेखी का दोषी पाया है। जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद भी जेल अधीक्षक यादव पर कार्रवाई नहीं होने पर बंदियों के परिजन ने मोर्चा खोल दिया है।
जयपुर निवासी किरण शेखावत ने जेल मुख्यालय से आरटीआई के तहत मांगी सूचना में खुलासा हुआ है कि अजमेर सेंट्रल जेल अधीक्षक संजय यादव की शह पर उसके पति मुकेश उर्फ प्रेम के समेत अन्य बंदियों के साथ मारपीट की गई। जांच में सामने आया कि 6 अप्रेल 2017 को जेल तलाशी में बरामद निषिद्ध सामग्री की सही बरामदगी नहीं दर्शाई गई।
बंदियों से मारपीट और बिना न्यायालय की अनुमति के बंदियों को मेडिकल परीक्षण के लिए राजकीय चिकित्सालय भेजा जाना प्रमाणित पाया है। इसके अलावा जेल में निरुद्ध बंदियों को जेल के अंदर से मोबाइल का संचालन, बंदियों के परिजन से अनधिकृत (सुविधा शुल्क) लेन-देन के तथ्य सामने आए है। यह सब कुछ केन्द्रीय कारागृह अजमेर अधीक्षक की ओर से नियमों की अनदेखी करने और अधीनस्थ कर्मचारियों एवं बंदियों पर प्रभावी नियंत्रण के अभाव से सम्भव हो सका।
सुविधा शुल्क का खेल उजागर

जांच रिपोर्ट में जेल में चलने वाले सुविधा शुल्क के खेल का पर्दाफाश हुआ है। जेल में विचाराधीन बंदी अविनाश जैन ने भी बयानों में बंदी रामदेव, सत्तू, लादू महाराज की ओर से काम नहीं करवाने की एवज में 50 हजार रुपए की मांग करना कबूला। उसने दोस्त योगेन्द्र सिंह के माध्यम से लादू महाराज को 27 हजार, 5-5 हजार और 7 हजार रुपए देने की बात कबूली। इसके बाद उससे काम नहीं करवाया।
चायपत्ती-चीनी सब मिलेगा

जेल से जमानत पर रिहा हुए बंदी ने बयानों में बताया कि वह नया था तब उससे झाड़ू-पोंछा लगावाया गया। बैरक में मिले भूरा नाम के बंदी ने उसे बीड़ी, माचिस, तेल, मसाले, लहसुन-प्याज व अच्छी चाय सब व्यवस्था करने की बात कही। भूरा ने जेल में मोबाइल से उसके भाई से बात करवाई। उसके भाई ने भूरा के बैंक खाते में दो हजार जमा करवा दिए। लादू महाराज, सत्तू, चाचा नाम के बंदी जेल में बंदियों से ‘तोड़-बट्टाÓ करते हैं।
प्रहरी ने की मारपीट की पुष्टि
जेल में निरुद्ध बंदियों से मारपीट की पुष्टि जेल प्रहरी उम्मेद सिंह व अजीत के बयानों में हुआ है। बयानों में बताया कि जेल अधीक्षक के हल्का बल प्रयोग के आदेश पर बंदी मुकेश के साथ बल प्रयोग किया। बंदी मुकेश उर्फ प्रेम ने बयान में बताया कि तलाशी में बंदी इरफान से मोबाइल मिला लेकिन अधीक्षक ने उसे बाहर भेज दिया। उसे बाहर ले जाने से पहले जमीन पर गिराकर मारा गया।
-बंदी मैन्यूअल शेख की पत्नी शहनाज ने बताया कि उसका पति जेल आया तो उसके साथ मारपीट की गई और उससे इसके बदले बीस हजार रुपए मांगे गए।
-बंदी करण उर्फ बाबू की मां दुर्गादेवी ने बताया कि उसके बेटे के साथ जेल में मारपीट की। जब वह मुलाकात करने आई तो मुलाकात से वंचित रखा।
-बंदी सद्दाम ने बताया कि तलाशी के अगले दिन ड्यूटी संतरी ने मारपीट व धक्का मुक्की की। इसमें लोहे के गेट से टकराने से सिर में चोट आई। खाने के बदले बंदी सत्तू उर्फ सत्यनारायण ने 20 हजार रुपए मांगे। बंदी बाबू ने बयानों में मारपीट की पुष्टि की।
बैंक खाते से लाखों में लेन-देन
जांच मे सामने आया कि अब्दुल हकीम उर्फ भूरा की पत्नी के बैंक खाते से लाखों रुपए का लेनदेन किया है। भूरा की पत्नी का कथन है कि पति भूरा जेल में किराणे की दुकान चलाता है। वह बंदियों को जर्दा, बीड़ी, सिगरेट आदि देता है, जिसके बदले में उसे हजार-पन्द्रह सौ रुपए मिलते हैं।
जेल के खेल में यह है शामिल
बंदी सत्तू उर्फ सत्यनारायण : लूटपाट के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। साल 2015 में जेल में सीओ बनाया। बंदियों के परिजन से बैंक खातों में लेन-देन में लिप्तता।
बंदी लादू महाराज : हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। सितम्बर 16 में सीओ बनाया। कपड़े के गोदाम का काम संभाल रहा है। पैसा लेकर सुविधा मुहैया करवाने की भूमिका।
बंदी अजीर्जुरहमान-बंदियों के परिजन से अनधिकृत रूप से पैसे के लेन-देन में भूमिका।
बंदी अब्दुल हकीम उर्फ भूरा-बंदियों के परिजन के बैंक खातों से लेन-देन में लिप्तता सामने आई। जेल में राशन, नशे की वस्तुएं और मोबाइल उपलब्ध करवाने की एवज में पत्नी के बैंक खाते में रकम डलवाना।
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