परिजन के आने का इंतजार जानकारी पाकर किसी परिचित के साथ पति दयालदास वैष्णव (93) भी मुक्तिधाम पहुंच गए। यहां पर दाह संस्कार के लिए परिषदकर्मियों और मुक्तिधाम प्रबंधन से जुड़े लोगों ने किसी परिजन के आने का इंतजार किया, लेकिन ज्यादा समय बीतने पर दोहिती पूनम वैष्णव ने नानी के शव का दाह संस्कार करने की इच्छा जताई। इस पर परिषदकर्मियों ने उसका सहयोग किया।
युवती को अकेले दाह संस्कार की तैयारियां करते देख यहां मौजूद शिवसेना हिन्दुस्तान के गोपाल शर्मा समेत तीन मुस्लिम युवक वसीम, अल्ताफ और लइक भी मदद के लिए आगे आए। उन्होंने पूनम को पीपीई किट पहनने में मदद की और उसे दाह संस्कार के लिए शव के पास लेकर गए। इसके बाद पूनम ने नानी का दाह संस्कार किया।
मानवता का धर्म निभाया वृद्धा के दाह संस्कार के लिए पीपीई किट पहनी पूनम की मुस्लिम युवक वसीम, अल्ताफ और लइक ने दाह संस्कार के दौरान पूरी तरह से मदद की। यही नहीं इन तीनों युवकों ने मानवता का धर्म निभाते हुए चिता की लकडिय़ों को व्यवस्थित करने तक के कार्य में सहयोग किया। युवकों ने परिषदकर्मियों के साथ पूनम के हाथों को सैनेटाइजर किया और उस पर भी सेनेटाइजर का स्प्रे किया। यह तीनों युवक परिषदकर्मियों के साथ ही दाह संस्कार के अंतिम समय तक मौजूद रहे।
मैं पहुंचा, लेकिन तब तक सब निकल चुके दयालदास के बड़े पुत्र ने बताया कि माता-पिता बीते छह-सात महीने से शिवाजी नगर में अकेले रह रहे थे। इनकी देखभाल के लिए दोहिती पूनम साथ में थी। उन्हें इस बात का पता नहीं चला कि मां कोरोना संक्रमित हो गई और हॉस्पिटल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। परिजन से जानकारी मिलते ही वह तुरंत सांवतसर मुक्तिधाम पहुंचा, लेकिन तब तक दाह संस्कार कर सब जा चुके थे।