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हमारे घरों की रोशनी से मनेगी इनकी दिवाली

locationअजमेरPublished: Oct 30, 2021 02:06:03 am

Submitted by:

tarun kashyap

महंगाई की मार से कुंभकार परेशानमिट्टी, तेल और कंडे के बढ़े दाम

हमारे घरों की रोशनी से मनेगी इनकी दिवाली

हमारे घरों की रोशनी से मनेगी इनकी दिवाली

तरुण कश्यप

अजमेर. महंगाई की मार से दीपोत्सव भी अछूता नहीं है। दीयों को अब तक खरीदारों का इंतजार है। कोरोना और महंगाई की मार से परेशान कुंभकार आस लगाए हैं कि इस बार की दीवाली कुछ खास हो। लोगों के घर ज्यादा से ज्यादा दीयों से रोशन हों। ताकि उनको दो पैसे ज्यादा मिलें तो घर का खर्चा चल सके।
देखा जाए तो दीये जलाने का चलन दिनों दिन रस्मी होता जा रहा है। पहले चाइनीज लाइटों ने दीयों की रोशनी मंद की। रही सही कसर कोरोना और तेल के बढ़ते दामों ने पूरी कर दी है। महंगाई के कारण इस बार हर साल की अपेक्षा दीये कम बनाए गए हैं। मिट्टी, उपले और लकड़ी के बढ़े दामों ने दीयों के भाव भी बढ़ा दिए हैं। लोग गिनती के दीयों की खरीद कर रहे हैं। पहले जहां एक साथ सौ-सौ दीये खरीदे जाते थे, अब लोग २५-२५ खरीदने में भी हिचक रहे हैं।
मिट्टी और तेल भी महंगा
महंगाई बढऩे से दीये बनाने का परम्परागत कार्य प्रभावित हुआ है। कुंभकारों का कहना है कि पहले दीये बनाने के लिए मिट्टी का कोई पैसा नहीं लगता था और दीये पकाने के लिए ईंधन जंगल या खेत से ही बिना कीमत के आसानी से मिल जाता था, लेकिन आज तो मिट्टी के भी पैसे देने पड़ रहे हैं। पहले मिट्टी की ट्रॉली डेढ़ हजार रुपए में आती थी, अब ३ हजार रुपए देने पड़ते हैं। पकाने के लिए ईंधन लाना भी एक समस्या है। बाजार में सजावटी लाइटें बिक रही हैं। कई लोग दीयों में तेल पर खर्च करने की बजाय इन आधुनिक लाइटों पर खर्च करना ज्यादा अच्छा मान रहे हैं।
इनका कहना है
अब तक बिक्री बहुत कम हुई है। मिट्टी, छाने और लकड़ी महंगे हो गए हैं। कंडे पहले ४० रुपए के १०० मिलते थे अब १०० के १०० हैं। तेल महंगा हुआ है तो दिए भी कम ही बिकेंगे। पहले ही कोरोना ने परेशान कर दिया अब महंगाई जीने नहीं दे रही।
-चेतराम

बारिश की वजह से माल कम बनाया है। महंगाई ने कमर तोड़ रखी है। पेट्रोल-डीजल ने सब कुछ महंगा कर दिया। मिट्टी और कंडे के दाम भी ज्यादा हो चुके हैं। हाल बेहाल है। बच्चों की स्कूल फीस का भी संकट हो गया है। तेल महंगा हुआ है। इस वजह से दिये छोटे आकार के बनाए हैं।
-गोपाल प्रजापति
त्योहार में सारा माल निकल जाए तो दीवाली कुछ अच्छी होने की उम्मीद है। मिट्टी की ट्रॉली, कंड,े रंग रोगन की लागत बढ़ गई है। ऐसे में दीये भी महंगे हो गए हैं। लॉकडाउन में लोगों की मदद के भरोसे दिन कटे हैं। अब अच्छे दिनों की उम्मीद है।
चंचल
महंगाई ने कहीं का नहीं छोड़ा। घर के सारे सदस्य दीये बना रहे हैं। ज्यादा बिक्री होने की उम्मीद कम है। हम जिस भाव दीये बेच रहे है , ग्राहक उस दाम पर नहीं ले रहा। नुकसान की भरपाई होना काफी मुश्किल है।
किशोर
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