अजमेर में दीपावली पर्व से पूर्व शुरू हुई मकानों और दुकानों की सफाई के बाद साइकिल और ठेलों पर गली-मोहल्लों से चला कबाड़ की बिक्री का यह सिलसिला बड़े गोदामों और यहां से ट्रकों के जरिए दूसरे शहरों तक जा पहुंचा।
शहर से निकला यह कबाड़ जयपुर, लुधियाना समेत पंजाब व हरियाणा के कई दूसरे शहरों तक जा पहुंचा। कबाड़ से जुड़े व्यापारियों के अनुसार इस दौरान शहर से 10 करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ है।
100 से अधिक दुकानें लोहे के कबाड़ की शहर में पुराने लोहे की 100 से अधिक दुकानें हैं। इनमें 50 के करीब दुकानें बाजे वाली गली केसरगंज तो 50 से अधिक दुकानें और गोदाम मदार में हैं।
इसके अलावा मदार गेट कबाड़ी बाजार, परबतपुरा बाइपास, जनाना अस्पताल के आगे और माकड़वाली रोड पर चार बड़े गोदाम सहित शहर में छोटी-छोटी सैकड़ों की संख्या में दुकानें हैं जिन पर रद्दी कागज, प्लास्टिक के सामान और पुराने लोहे के कबाड़ का व्यापार होता है। पुराने लोहे के स्क्रेप में अधिकांश सामान रेलवे का होता है।
READ MORE : यहां अब भी हाथ से बनता है लक्ष्मीजी का पाना लैपटॉप, कम्प्यूटर, एलईडी भी कबाड़ में कागज, प्लास्टिक और लोहे के सामान के साथ अब ई-कचरा भी कबाड़ की दुकानों में दिखाई देने लगा है। इन दुकानों पर लैपटॉप, कम्प्यूटर, एलईडी, वाशिंग मशीन, गीजर, फ्रिज, कूलर सहित कई इलेक्ट्रॉनिक सामान कबाड़ में खरीदे और बेचे जा रहे हैं।
एंटिक आइटम भी शामिल मदार गेट स्थित कबाड़ी बाजार में पुराने सामान के साथ बेचे गए कई एंटिक सामान भी नजर आए। इनमें कई बहुत पुराने हैं तो कुछ को मोडिफाइड किया गया है। इनमें ग्रामोफोन, फोन घड़ी, बजर फोन, कछुआ घड़ी आदि शामिल हैं।
हजारों को मिल रहा रोजगार घरों से निकलने वाले इस कबाड़ ने शहर में हजारों लोगों को रोजगार दे रखा है। सुबह सवेरे से ही गली-मोहल्लों में साइकिल और ठेलों पर फेरी लगाने वाले कबाड़ी के जरिए दुकानों फिर बड़े गोदामों में पहुंचने वाले इस कबाड़ का मासिक कारोबार भी करोड़ों रुपए में है।