दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की पड़ताल में आया कि पाक आतंकी मोहम्मद अशरफ २००५ में सिलिगुड़ी के रास्ते भारत में आने के बाद कुछ दिन कोलकाता में ठहरा। इसके बाद वह सीधे अजमेर पहुंच गया। यहां पर बिहार-किशनगंज के दो युवकों के सम्पर्क में रहते हुए दो साल गुजारे। इस दरम्यिान झाड़-फूंक के अलावा उसने दरगाह क्षेत्र में आसानी से घूमने के लिहाज से रेहड़ी भी चलाई। दिल्ली स्पेशल सेल की टीम अशरफ को अजमेर लेकर आएगी। यहां उसके ठहरे स्थान व स्थानीय सम्पर्कों की तस्दीक की जाएगी। वहीं जिला पुलिस व खुफिया एजेंसी भी अपने स्तर पर पड़ताल में जुटी है।
घुसपैठ की आड़ में पनाह
अजमेर पहले भी बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर चर्चा में रहा है। घुसपैठिए बांग्लादेश बॉर्डर से दाखिल होकर अजमेर पहुंचकर दरगाह आने वाले जायरीन की आड़ में पनाह पाने में कामयाब हो जाते हैं। दरगाह क्षेत्र में अन्दर कोट, नई सड़क, अम्बाबाव, तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में सैकड़ों बांग्लादेशी परिवार हैं जो अब भी राशन कार्ड व आधार कार्ड बनवा कर रह रहे हैं।
धर्म परिवर्तन में भी लिप्तता
दिल्ली पुलिस की पड़ताल में अशरफ के आतंकी मंसूबों के साथ ही उसका धर्म परिवर्तन कराने में भी लिप्त होना पता चला है। वह यहां दौलते इस्लामिया संस्था का सक्रिय सदस्य भी बन गया। संस्था के कार्यक्रमों में उसको तकरीर देने के लिए बुलाया जाता था। उसने यहां से ना केवल देश के विभिन्न राज्यों में बल्कि विदेश यात्राएं भी की थीं।