डेंगू मरीज घोषित करने के लिए एलाइजा टेस्ट अनिवार्य करने के कारण सामान्य चिकित्सालय बाड़ी में 9 सितंबर से लेकर 15 अक्टूबर तक मात्र तीन केस ही रिपोर्ट किए गए हैं। जबकि सत्यता यह है कि उपखंड के हर घर में बुखार के मरीज हैं और ऐसे भी मरीजों की कोई कमी नहीं। जिनकी प्लेटलेट्स 50000 से कम हो गई है। फिर भी चिकित्सा विभाग द्वारा सरकारी पैमाने पर आकलन बेहद ही कठिन है।
कस्बे में लगातार बढ़ते बुखार के मरीजों को लेकर डॉ. परमेश पाठक ने बताया कि बरसात के मौसम के बाद प्रतिवर्ष जलभराव की समस्या होती है। ऐसे में डेंगू का एक वयस्क मादा म’छर एक बार में 400 लार्वा छोड़ता है। जिन पर फागिंग का कोई भी असर नहीं होता। ऐसे में यदि डेंगू के म’छर को समाप्त करना ही है तो एंटी लार्वा एक्टिविटी Óयादा करनी चाहिए। तभी जाकर डेंगू पर लगाम कसी जा सकती है।
डॉक्टर पाठक ने स्पष्ट करते हुए बताया कि डेंगू को लेकर केवल अकेला चिकित्सा विभाग ही कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि यह एक ऐसी समस्या है, जो यदि कोविड काल को छोड़ दिया जाए, तो विगत एक दशक से लगातार चल रही है। सितंबर-अक्टूबर के महीने में अपना विकराल रूप दिखाती है। डेंगू के म’छर पर काबू पाने के लिए केवल अस्पताल ही नहीं नगरपालिका, पंचायत समिति एवं प्रशासन आपस में आंतरिक मीटिंग कर इसके लिए एक फुलप्रूफ प्लान बनाकर चलें, तभी जाकर इस गंभीर समस्या पर काबू पाया जा सकता है
बाड़ी सामान्य चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. शिवदयाल मंगल का कहना है कि यदि किसी को बुखार है तो वह अपनी सीबीसी जांच कराए। जिसमें यदि प्लेटलेट्स कम आती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यदि किसी की प्लेटरेट्स 50000 से नीचे है तो ही संभावना है कि उसे डेंगू हो, लेकिन ऐसे में वह घबराएं नहीं, क्योंकि घबराने से ब्लड सरकुलेशन बढ़ जाता है और बीमारी का खतरा भी मरीज अधिक से अधिक लिक्विड का सेवन करें।
शेखर शर्मा ने कहा कि डेंगू पर काबू केवल जागरूकता के आधार पर ही पाया जा सकता है। जैसे दिल्ली सरकार द्वारा विगत & वर्षों से सितंबर-अक्टूबर माह में 10 हफ्ते 10 बजे, 10 मिनट डेंगू पर प्रहार अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत लोगों को जागरूक कर अपने घर के आसपास जमा पानी को फैलाने या उसमें मिट्टी का तेल डालने, कूलर की सफाई करने के अलावा अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों को कराया जाता है