scriptअजमेर के इस यूनिवर्सिटी में नहीं हुआ ये काम, किसी के पास नहीं है जवाब | Devnagri department not setup in mds university ajmer | Patrika News

अजमेर के इस यूनिवर्सिटी में नहीं हुआ ये काम, किसी के पास नहीं है जवाब

locationअजमेरPublished: Sep 15, 2018 04:24:06 am

Submitted by:

raktim tiwari

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devnagri dept

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रक्तिम तिवारी/अजमेर।

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में देवनागरी लिपि विभाग नहीं खुल पाया है। यूजीसी ने विश्वविद्यालय से प्रस्ताव मांगा था। लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। यूजीसी से विश्वविद्यालय को कोई निर्देश नहीं मिले हैं।
देश में स्थानीय, प्रादेशिक स्तर पर कई बोलियां प्रचलित हैं। कई बोलियां ऐसी हैं, जिनकी कोई तयशुदा लिपि नहीं है। यह स्थानीय जरूरत और परस्पर बातचीत का माध्यम हैं। अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के चलते वक्त के साथ कई प्राचीन बोलियां लुप्त हो रही हैं। यूजीसी ने बोलियों के संरक्षण के लिए विश्वविद्यालयों में देवनागरी लिपि विभाग खोलने की योजना बनाई। पिछले साल देशभर के विश्वविद्यालयों से आवेदन लिए गए। इनमें महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय भी शामिल था।
नहीं हुआ कोई फैसला
सभी केंद्रीय, राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों और इनके समकक्ष संस्थानों में देवनागरी लिपि विभाग स्थापित होना है। लेकिन यूजीसी ने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के मामले में कोई फैसला नहीं किया है। देवनागरी लिपि विभाग में उन बोलियों को संरक्षित किया जाएगा, जिनकी कोई निर्धारित लिपि नहीं है। मालूम हो कि देश में मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाडी, खैसरी, गमती, निमाड़ी, बंजारी, धंधुरी, कौरवी खड़ी बोली, पोआली, लरिया, भोजपुरी, मैथिली और अन्य बोलियां प्रचलित हैं।
हिन्दी का आधार है देवनागरी

देवनागरी लिपि मूलत: हिन्दी भाषा का आधार है। यह बहुत विस्तृत और प्राचीन लिपि है। हिन्दी भाषा को समृद्ध और वैश्विक बनाने में इसका अहम योगदान है। देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग हैं। ऐसे में यूजीसी ने देवनागरी लिपि विभाग के माध्यम से स्थानीय, क्षेत्रीय और प्रादेशिक बोलियों को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।
फैक्ट फाइल..

देश में उच्च शिक्षण संस्थान
राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी-784
केंद्रीय विश्वविद्यालय-47
कॉलेज-40-45 हजार
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी-22
अध्ययनरत विद्यार्थी-5.5 करोड़ (स्त्रोत-यूजीसी)

बनना है वाइस चांसलर तो करना पड़ेगा ये काम

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के स्थाई कुलपति पद की आवेदन प्रक्रिया पूरी हो गई। ऑनलाइन आवेदन कर चुके शिक्षकों की हार्ड कॉपी 20 सितम्बर तक जमा होगी।
प्रो. विजय श्रीमाली के बीती 21 जुलाई को निधन होने के बाद से महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति नहीं है। बांसवाड़ा के गोविंद गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी फिलहाल अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाले हुए है। विश्वविद्यालय ने शनिवार तक कुलपति पद के लिए आवेदन मांगे हैं। इसके तहत 70 वर्ष से कम उम्र, दस साल का अध्यापन और शोध और किसी प्रशासनिक संस्थान में कामकाज का अनुभव रखने वाले प्रोफेसर-शिक्षाविद आवेदन कर सकेंगे।
बनाई सर्च कमेटी

कुलपति सर्च कमेटी का गठन पूरा हो चुका है। कमेटी में राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. के. कोठारी राज्य सरकार के प्रतिनिधि, यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश राजभवन के प्रतिनिधि बनाए गए हैं। इसी तरह कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो. बी. बी. छीपा मदस विश्वविद्यालय के प्रबंध मंडल द्वारा नामित प्रतिनिधि और प्रो. जी. सी. सक्सेना यूजीसी के प्रतिनिधि बनाए गए हैं।
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