आज के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से आते हैं मिलने
१४ जनवरी को मनाया जाने वाला मकर संक्रांति का त्योहार देश भर में दान पुण्य के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर आज के ही दिन जाते है, चूंकि शनि मकर राशि के देवता हैं, इसलिए इस दिन सूर्यदेव को अघ्र्य देने का अधिक महात्म्य बताया गया है।
१४ जनवरी को मनाया जाने वाला मकर संक्रांति का त्योहार देश भर में दान पुण्य के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर आज के ही दिन जाते है, चूंकि शनि मकर राशि के देवता हैं, इसलिए इस दिन सूर्यदेव को अघ्र्य देने का अधिक महात्म्य बताया गया है।
संक्रांति को ही मां गंगा हुई थी पृथ्वी पर अवतरित
संक्रांति को ही मां गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई पृथ्वी पर अवतरित होती हुई थीं और भीष्म ने भी आज उत्तरायण के दिन ही अपनी मृत्यु को चुना था। उत्तरायण को ही यदि किसी की मृत्यु हो तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। देश के गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में बैसाखी, तामिलनाडु में ढाई पोंगल, असम में मोंगली तथा उत्तर भारत में खिचड़ी के रूप में मनाए जाने वाले त्योहार के दिन दान पुण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है। मंदिरों में भगवान को अर्पित किया चढ़ावा।
संक्रांति को ही मां गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई पृथ्वी पर अवतरित होती हुई थीं और भीष्म ने भी आज उत्तरायण के दिन ही अपनी मृत्यु को चुना था। उत्तरायण को ही यदि किसी की मृत्यु हो तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। देश के गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में बैसाखी, तामिलनाडु में ढाई पोंगल, असम में मोंगली तथा उत्तर भारत में खिचड़ी के रूप में मनाए जाने वाले त्योहार के दिन दान पुण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है। मंदिरों में भगवान को अर्पित किया चढ़ावा।
महिलाओं ने अलसुबह स्नान कर मंदिरों में भगवान के श्रीचरणों में ढोक दी और नारियल, लडडू, झाडू, वस्त्र, श्रृंगार सामग्री अर्पण की।