अजमेर

श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अध्र्य देकर मनाई मकर संक्रांति

मंदिरों में भगवान के दर्शन कर विश्व शांति की कामना , शहर के बाजारों में उमड़ी भीड़
बाड़ी. जिले में शुक्रवार को धूमधाम से मकर संक्रांति मनाई गई। इस दौरान शहर व गांवों में समाजसेवियों, संगठनों की ओर से दान पुण्य किए गए। जरूरतमंदों को गर्म कपड़े व कम्बल वितरित किए गए।

अजमेरJan 15, 2022 / 01:14 am

Dilip

श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अध्र्य देकर मनाई मकर संक्रांति

धौलपुर. बाड़ी. जिले में शुक्रवार को धूमधाम से मकर संक्रांति मनाई गई। इस दौरान शहर व गांवों में समाजसेवियों, संगठनों की ओर से दान पुण्य किए गए। जरूरतमंदों को गर्म कपड़े व कम्बल वितरित किए गए। साथ ही मंदिरों में भी दान पुण्य किया। इसी प्रकार बाड़ी शहर के प्रमुख श्री राजराजेश्वरी कैलामाता मंदिर पर श्रद्धालुओं ने अलसुबह पहुंचकर प्रार्थना की। शहर भर में भगवान सूर्य देव को अघ्र्य देकर श्रद्धालुओं ने दान पुण्य किया। शहर और आसपास के विभिन्न मंदिरों में भगवान के दर्शन कर विश्व शांति की कामना की। इस अवसर पर महिलाओं ने घर-परिवार में पूड़ी, खीर, मंगौड़ा और अन्य पकवान बनाकर अपने भांजे, भांजी और विद्वानों को भोजन कराकर दान दिए। दोपहर बाद सामूहिक रूप से महिलाओं ने घरों की छत पर गाडिय़ों में लड्डू, पापड़ी और अमरूद भरकर नौनिहालों से चलवाई। त्योहार के अवसर पर शहर के प्रमुख बाजारों में खासी भीड़ देखी गई।
आज के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से आते हैं मिलने
१४ जनवरी को मनाया जाने वाला मकर संक्रांति का त्योहार देश भर में दान पुण्य के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर आज के ही दिन जाते है, चूंकि शनि मकर राशि के देवता हैं, इसलिए इस दिन सूर्यदेव को अघ्र्य देने का अधिक महात्म्य बताया गया है।
संक्रांति को ही मां गंगा हुई थी पृथ्वी पर अवतरित
संक्रांति को ही मां गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई पृथ्वी पर अवतरित होती हुई थीं और भीष्म ने भी आज उत्तरायण के दिन ही अपनी मृत्यु को चुना था। उत्तरायण को ही यदि किसी की मृत्यु हो तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। देश के गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में बैसाखी, तामिलनाडु में ढाई पोंगल, असम में मोंगली तथा उत्तर भारत में खिचड़ी के रूप में मनाए जाने वाले त्योहार के दिन दान पुण्य करने का विशेष महत्व बताया गया है। मंदिरों में भगवान को अर्पित किया चढ़ावा।
महिलाओं ने अलसुबह स्नान कर मंदिरों में भगवान के श्रीचरणों में ढोक दी और नारियल, लडडू, झाडू, वस्त्र, श्रृंगार सामग्री अर्पण की।
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