भगवान के चरणों में रति ही भक्ति - शांति दास
सुदामा चरित्र का किया चित्रण
श्री शांति धाम आश्रम जानकी कुंड चित्रकूट में आयोजित भागवत कथा के आखिरी दिन रविवार को पंच अनीह दिगंबर अखाड़ा श्री शांति धाम आश्रम के महंत शांति दास महाराज ने ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के उपदेश सुनाए।उन्होंने कहा कि चित्रकूट तीर्थ का सनातन धर्म में विशेष महत्व है।
अजमेर
Published: May 16, 2022 12:48:37 am
सैंपऊ . श्री शांति धाम आश्रम जानकी कुंड चित्रकूट में आयोजित भागवत कथा के आखिरी दिन रविवार को पंच अनीह दिगंबर अखाड़ा श्री शांति धाम आश्रम के महंत शांति दास महाराज ने ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के उपदेश सुनाए।उन्होंने कहा कि चित्रकूट तीर्थ का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने वनवास के दौरान चित्रकूट धाम को ही सर्वोपरि माना था। भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास में साढ़े 12 वर्ष चित्रकूट धाम में ही व्यतीत हुए। चित्रकूट की धरा ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाली है। उन्होंने महाकवि तुलसीदास के लिखे शब्दों की नजीर देते हुए कहा कि और ठौर जप तप करें ठाढि रहे धरि मौन, चित्रकूट को डोलिवो तुलसी तुले न तोल, अर्थात चित्रकूट धाम का भ्रमण करने से ही पापों से मुक्ति हो जाती है। उन्होंने कहा कि भगवान राम को चित्रकूट छोड़ते ही अशांति का सामना करना पड़ा था। ऐसे में वेद पुराण एवं शास्त्रों ने भी चित्रकूट की महिमा को सर्वोपरि रहकर वरीयता दी है। भगवान राम का स्नेह चित्रकूट की कण-कण और रज रज में छुपा हुआ है। उन्होंने कहा चित्रकूट धाम भगवान राम के पहुंचने से पूर्व ही तपोस्थली रही थी। इसीलिए वनवास के दौरान भगवान राम ने चित्रकूट रहने का चयन किया था। महाराज ने कहा कि मानव की प्रत्येक सांस पर परमात्मा का हक है। 21 हजार से अधिक सांस इंसान 24 घंटे में लेता है। उसमें से मानव को अधिकांश सांस परमपिता परमात्मा के स्मरण के लिए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कलयुग में सिर्फ भगवान नाम की भक्ति ही भगवान की प्राप्ति का सुगम साधन है। परमपिता परमात्मा भगवान राम का नाम स्मरण करने से ही मनुष्य संसार रूपी भवसागर को पार कर सकता है। कथा वाचन कर रहे सत्यदेव महाराज ने भागवत कथा के आखिरी दिन सुदामा चरित्र का मनमोहक प्रसंग पेश किया। भागवत कथा के बाद महाआरती कर प्रसादी वितरित की गई। इस अवसर पर कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष विनीत कुमार शर्मा, सत्यवीर शर्मा, संजय अग्रवाल आगरा, राम प्रकाश शर्मा, भगवान दास शर्मा, धनंजय शर्मा, शिवकुमार शर्मा, सुभाष शर्मा, कृष्ण कुमार सोनी, सामलिया कुशवाह, राधेश्याम सरपंच, भरत सिंह कुशवाह, जगदीश कुशवाह एवं भोजराज कुशवाह आदि मौजूद रहे।

भगवान के चरणों में रति ही भक्ति - शांति दास
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