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8 घंटे तक किडनी मरीजों की जान खतरे में

locationअजमेरPublished: Jun 11, 2019 11:50:38 pm

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-डायलिसिस यूनिट में सुबह 7 बजे बिजली गुल, 3 बजे फाल्ट ढूंढने पहुंची टीम, बिजली गुल होने से डायलिसिस नहीं हो सकी, प्राइवेट अस्पताल में भेजे मरीज

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8 घंटे तक किडनी मरीजों की जान खतरे में

अजमेर. संभाग के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सालय में करीब 8 घंटे तक डायलिसिस यूनिट में गुर्दा (किडनी) रोगियों की जान खतरे में रही। डायलिसिस यूनिट में मगंलवार सुबह 7 बजे से बिजली गुल होने के बाद अपराह्न 3 बजे तक आपूर्ति सुचारू नहीं होने से मरीजों की डायलिसिस नहीं हो पाई। कुछ गंभीर रोगियों को तो आदर्शनगर स्थित दीपमाला पागारानी निजी हॉस्पिटल में डायलिसिस के लिए भेजना पड़ा।
जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में पीपीपी मोड पर संचालित संजीवनी डायलिसिस यूनिट में सुबह 7 बजे बिजली गुल हो गई। संचालक एजेन्सी के प्रभारी ने इस संबंध में बिजली कंपनी, डिस्कॉम के अभियंता, जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अनिल जैन को सूचना दी मगर दोपहर तक भी बिजली आपूर्ति सुचारू नहीं हो पाई। इससे निर्धारित तिथि पर पहुंचे मरीजों की डायलिसिस नहीं हो पाई। जबकि कुछ को तत्काल आवश्यकता थी, मगर कुछ मरीजों को तुरंत प्राइवेट अस्पताल दीपमाला में डायलिसिस के लिए भेजा गया।
लाइफ रिस्क प्रोसीजर भी फेल
किशनगढ़ से अपनी पत्नी प्रेमलता का डायलिसिस करवाने पहुंचा हूं। डायलिसिस किडनी रोगियों की लाइफ रिस्क प्रोसीजर है, इसके बावजूद समय पर डायलिसिस नहीं हो रही है। सुबह से ही बिजली बंद है, सूचना के बावजूद बिजली सुचारू नहीं हुई है, सुबह 9 बजे वालों का नम्बर नहीं आया, 2 बजे वालों का भी संभव नहीं है।
-उमराव सिंह, किशनगढ़ निवासी
डायलिसिस समय पर नहीं तो मरीज पर आपदा
मेरे पिता की दो साल से डायलिसिस करवा रहा हूं। हर दो सप्ताह में डायलिसिस करवाना जरूरी है। सुबह से ही यहां लाइट नहीं है, स्टाफ ने सूचना भी दी लेकिन न तो बिजली कंपनी का कोई व्यक्ति आया न विद्युत निगम का। अस्पताल प्रशासन ने भी ध्यान नहीं दिया। ऐसे में मरीज के शरीर में पॉइजन बनने से कोई भी आपदा आ सकती है।
-महेश कुमार, परिजन ़

इनका कहना है
सुबह 7 से पावर नहीं आने से डायलिसिस शुरू नहीं हो पाया। इसके बाद अस्पताल के इलेक्ट्रिशियन से मिला, स्विच ऑन किया मगर आपूर्ति सुचारू नहीं हुई। इसके बाद सोनी एवं डॉ. अनिल जैन को सूचना दी। इलेक्ट्रिशियन ने भी चैक किया मगर लाइट नहीं आई। गौरव शर्मा से बात हुई मगर वह भी नहीं आए। दोपहर 2.30 बजे कार्मिक पहुंचे जिन्होंने प्रयास किए। डायलिसिस के अभाव में मरीजों की हालत गंभीर रही।
-संदीप चक्रवर्ती, स्टेट एडमिनिस्ट्रिटेटिव, संजीवनी कंपनी

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